कोरोना से मौत पर मुआवजा मामला: SC ने केंद्र से कहा- गाइडलाइन जारी कर दाखिल करें अनुपालन रिपोर्ट

Edited By Yaspal,Updated: 13 Sep, 2021 08:54 PM

sc asked center to issue guidelines and file compliance report

देश मे कोविड से अब तक 4 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। कोविड से हुई मौतों के मुआवजे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिस पर देश की सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को सुनवाई की। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए कि वह 23 सितंबर...

नेशनल डेस्कः देश मे कोविड से अब तक 4 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। कोविड से हुई मौतों के मुआवजे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिस पर देश की सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को सुनवाई की। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए कि वह 23 सितंबर तक कोविड से हुई मौत पर मुआवजा देने की गाइडलाइन जारी कर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करे। सुप्रीम कोर्ट ने कोविड मरीज के खुदकुशी करने वाले को कोविड से मौत ना मानने के फैसले पर फिर से विचार करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। गाइडलाइन में कुछ मुद्दे हैं, जिन पर सरकार फिर से विचार करे। अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी।

टेस्टिंग की तारीख या कोविड-19 मामले में चिकित्सकीय रूप से निर्धारित तारीख से 30 दिनों के भीतर होने वाली मौतों को कोविड-19 के कारण होने वाली मौतों के रूप में माना जाएगा। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में यह बात कही है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने कोविड से संबंधित मौतों के लिए ‘आधिकारिक दस्तावेज' जारी करने के लिए दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा है कि कोविड से संबंधित मौत के मामले में डेथ सर्टिफिकेट जारी करने के संबंध आईसीएमआर और हेल्थ मिनिस्ट्री ने गाइडलाइंस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने 3 सितंबर को सर्कुलर जारी किया है और कहा है कि मृतक के परिजनों को मेडिकल सर्टिफिकेट जारी किया जाए और मौत का कारण लिखा जाए।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह की अगुवाई वाली बेंच ने गाइडलाइंस पर विचार किया और कहा कि कोविड डेथ सर्टिफिकेट जारी करने को आसान बनाने के लिए गाइडलाइंस जारी किया गया है और उसमें कहा गया है कि कोविड पीड़ित का अगर जहर से मौत हो जाए या फिर ऐक्सिडेंट से मौत हो जाए या फिर आत्महत्या से मौत हो जाए तो उसमें कोविड डेथ नहीं माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहली नजर में कोविड पेशेंट के आत्महत्या मामले को कोविड डेथ से बाहर रखना स्वीकार्य नहीं लगता है ऐसे में सरकार इस पर विचार करे।

साथ ही कहा गया है कि कोविड टेस्ट पॉजिटिव होने या फिर क्लिनिकल तरीके से यह पता चले कि कोविड हुआ था और 30 दिन के दौरान मौत हो जाए तो मामले में मौत की वजह कोविड ही लिखी जाएगी। चाहे मौत अस्पताल से बाहर ही क्यों न हुई हो। साथ ही गाइडलाइंस में कहा गया है कि किसी मरीज को कोविड हुआ हो और वह लगातार अस्पताल में है और 30 दिनों से ज्यादा भी हुआ हो तो भई मौत होने पर कोविड डेथ ही माना जाएगा।

कोविड से मौत के मामले में जारी होने वाले सर्टिफिकेट को आसान बनाने के लिए गाइडलाइंस तैयार कर उसकी अमल रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के सामने 11 सितंबर को पेश करने का निर्देश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता वकील गौरव बंसल ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने 30 जून को आदेश पारित किया था और केंद्र सरकार को इस आदेश का आदर करना चाहिए और उस पर अमल करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी किया था कि कोविड से मौत के मामले में डेथ सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया आसान बनाए और इसके लिए गाइड लाइंस जारी किया जाए।

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