सुप्रीम कोर्ट 10 फीसदी आरक्षण के केन्द्र के फैसले के खिलाफ आठ अप्रैल को करेगा सुनवाई

Edited By shukdev,Updated: 28 Mar, 2019 07:54 PM

sc to hear case against center for 10 percent reservation hearing on april 8

उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि सभी वर्गों के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिये सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने के केन्द्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आठ अप्रैल को सुनवाई की जाएगी।  न्यायमूर्ति एस ए ...

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि सभी वर्गों के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिये सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने के केन्द्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आठ अप्रैल को सुनवाई की जाएगी।  न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने कहा कि वह कुछ याचिकाकर्ताओं की इस दलील पर भी विचार करेगा कि इस मामले पर संविधान पीठ द्वारा निर्णय करने की आवश्यकता है। पीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद इस मामले को आठ अप्रैल के लिए सूचीबद्ध कर दिया। 

इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल ने सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध करते हुए कहा कि वह और अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के समक्ष एक अन्य मामले में बहस कर रहे हैं। याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने शीर्ष अदालत के 11 मार्च के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि इस बिन्दु पर भी विचार करना चाहिए कि क्या इसे संविधान पीठ को सौंपा जाना चाहिए। धवन ने पीठ से कहा कि यदि मामला संविधान पीठ को सौंपा जाना है तो फिर इस तरह से सुनवाई स्थगित नहीं की जानी चाहिए। 

उन्होंने कहा कि यह विचार करना होगा कि क्या इस मामले को संविधान पीठ को सौंपने की आवश्यकता है क्योंकि इससे बुनियादी ढांचे पर हमला होता है। इस पर मेहता ने कहा,‘ इस बारे में (क्या इस मामले को संविधान पीठ को सौंपना चाहिए) अटार्नी जनरल को कुछ कहना है।’ उन्होंने कहा कि ये याचिकायें अचानक ही एक नई पीठ के समक्ष आ गई हैं और अटार्नी जनरल प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के समक्ष एक मामले में पेश हो रहे हैं। पीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकील से कहा, ‘हम उन्हें (केन्द्र) और अटार्नी जनरल को अवसर देना चाहते हैं।’ धवन ने कहा कि रेलवे 103वें संशोधन के अनुरूप दुबर्ल वर्ग के लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण के साथ भर्तियां करने जा रहा है। पीठ ने मौखिक रूप से ही कहा कि यह इस मामले में अंतिम फैसले के दायरे में आएगा। 

धवन ने 1992 के इन्दिरा साहनी मामले में सात सदस्यीय संविधान पीठ के फैसले का जिक्र करते हुये कहा कि आरक्षण की अवधारणा पक्षपात के आधार पर ही होनी चाहिए। न्यायालय ने केन्द्र की एक अलग याचिका भी स्वीकार कर ली जिसमे 10 फीसदी आरक्षण के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में शुरू हुई कार्यवाही पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है शीर्ष अदालत ने 11 मार्च को कहा था कि वह इस समय सभी वर्गों के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण के मुद्दे को संविधान पीठ को सौंपने के बारे में कोई आदेश पारित करने के पक्ष में नहीं है। पीठ ने कहा था कि 28 मार्च को इस बारे में विचार किया जाएगा कि क्या इसे संविधान पीठ को सौंपने की आवश्यकता है। शीर्ष अदालत ने इससे पहले दस फीसदी आरक्षण के सरकार के निर्णय पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था लेकिन उसने इस कानून की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था। 
 

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