आतंकवाद की कमर तोड़ने में सुरक्षा एजेंसियां कामयाब! अमेरिका बोला- सुरक्षित हो रहा है भारत

Edited By vasudha,Updated: 25 Jun, 2020 12:12 PM

security agencies succeed in breaking the back of terrorism

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की कार्यकुशलता का डंका देश ही नहीं, बल्कि विश्‍व पटल पर भी बजने लगा है। अमेरिका भी इसकी ताकत को जान चुका है। अमेरिका की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत ने 2019 में अपनी सीमाओं के भीतर आतंकवादी गतिविधियों का पता लगाने और रोकने के...

नेशनल डेस्क: भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की कार्यकुशलता का डंका देश ही नहीं, बल्कि विश्‍व पटल पर भी बजने लगा है। अमेरिका भी इसकी ताकत को जान चुका है। अमेरिका की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत ने 2019 में अपनी सीमाओं के भीतर आतंकवादी गतिविधियों का पता लगाने और रोकने के लिए निरंतर दबाव बनाया और इसकी सुरक्षा एजेंसियां खुफिया जानकारी और सूचना साझा करने में कुछ अंतराल के बावजूद आतंकवादी खतरों को बाधित करने में प्रभावी हैं। इससे देश की भीतरी सुरक्षा और भी मजबूत बनी हुई है।

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भारत ने कई आतंकवादी हमलों का किया सामना 
विदेश विभाग द्वारा जारी वार्षिक आतंकवाद के बारे में देश की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में भारत ने जम्मू-कश्मीर और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में आतंकवादी हमलों का सामना किया। भारत सरकार ने अपनी सीमाओं के भीतर आतंकवादी गतिविधियों का पता लगाने और बाधित करने के लिए निरंतर दबाव डालना जारी रखा। इस रिपोर्ट में कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने आतंकवादी हमलों की निंदा करते हुए कई बयान दिये और अमेरिका और समान विचारधारा वाले कई अन्य देशों के साथ सहयोग कर आतंकवाद के दोषियों को कानून के कटघरे में लाया गया। हालांकि इस रिपोर्ट ने पाकिस्तान की भी पोल खोल दी है। 

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पाक की खोली पोल 
अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकववाद के वित्त पोषण को रोकने और जैश ए मोहम्मद द्वारा पिछले साल फरवरी में जम्मू कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों के काफिले पर किये गए आतंकी हमले के बाद बड़े पैमाने पर हमले से भारत केंद्रित आतंकी संगठनों को रोकने के लिये 2019 में मामूली कदम उठाए। पाकिस्तान ने आतंकवाद के वित्त पोषण के तीन अलग मामलों में लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद को दोषी ठहराने समेत कुछ बाह्य केंद्रित समूहों के खिलाफ कार्रवाई की।  हालांकि, पाकिस्तान क्षेत्र में केंद्रित अन्य आतंकवादी संगठनों के लिये सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है।

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पाकिस्तान में खुले घूम रहे आतंकवादी 
रिपोर्ट में कहा गया कि वह अफगान तालिबान और संबद्ध हक्कानी नेटवर्क को अपनी जमीन से संचालन की इजाजत देता है जो अफगानिस्तान को निशाना बनाते हैं, इसी तरह वो भारत को निशाना बनाने वाले लश्कर-ए-तैयबा और उससे संबद्ध अग्रिम संगठनों और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों को अपनी जमीन का इस्तेमाल करने देता है। विदेश मंत्रालय ने आरोप लगाया कि उसने अन्य ज्ञात आतंकवादियों जैसे जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक और संरा द्वारा घोषित आतंकवादी मसूद अजहर और 2008 के मुंबई हमलों के ‘प्रोजेक्ट मैनेजर' साजिद मीर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जिनके बारे में माना जाता है कि वे पाकिस्तान में खुले घूम रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान और पाकिस्तान में यद्यपि अलकायदा का प्रभाव काफी हद तक कम हुआ है लेकिन संगठन के वैश्विक नेताओं और उससे संबद्ध भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा (एक्यूआईएस) लगातार उन सुदूरवर्ती इलाकों से अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं जो ऐतिहासिक रूप से उनके सुरक्षित पनाहगाह के तौर पर काम करते रहे हैं। 

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