Edited By Pardeep,Updated: 30 Jan, 2021 10:07 PM
ईः किसानों के मुद्दों को लेकर पहले भूख हड़ताल की घोषणा करने और फिर कुछ ही घंटों में इससे पीछे हटने पर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की आलोचना करते हुए शिवसेना ने शनिवार को कहा कि यह तो अपेक्षित था। हजारे ने नये कृषि कानूनों
मुंबईः किसानों के मुद्दों को लेकर पहले भूख हड़ताल की घोषणा करने और फिर कुछ ही घंटों में इससे पीछे हटने पर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की आलोचना करते हुए शिवसेना ने शनिवार को कहा कि यह तो अपेक्षित था। हजारे ने नये कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में बेमियादी हड़ताल की घोषणा शुक्रवार को की थी, लेकिन बाद में उन्होंने भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के साथ बातचीत के बाद फैसला बदल लिया।
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना' में प्रकाशित संपादकीय के अनुसार, ‘‘यह घटनाक्रम मजेदार रहा, लेकिन अपेक्षित था।'' पार्टी ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि केंद्र सरकार के विवादास्पद कृषि कानूनों पर हजारे का रुख क्या है। उसने कहा, ‘‘प्रदर्शनकारी किसानों को निशाना बनाया जा रहा है और जिस तरह से उनके साथ बर्ताव किया जा रहा है, वह हैरान करने वाला है।''
शिवसेना ने कहा कि मनमोहन सिंह नीत संप्रग सरकार के दौरान हजारे दो बार दिल्ली गये और बड़ा आंदोलन चलाया तथा भाजपा ने उन आंदोलनों का समर्थन किया था। उसने कहा, ‘‘लेकिन पिछले कुछ साल में उन्होंने नोटबंदी, लॉकडाउन पर कोई रुख नहीं अपनाया।'' पार्टी ने यह आरोप भी लगाया कि केंद्र सरकार किसानों के आंदोलन का दमन करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है और उनके नेताओं को हवाईअड्डों पर ‘लुक आउट नोटिस' थमाये गए हैं जैसे कि वे अंतरराष्ट्रीय भगोड़े हों।
सामना' के संपादकीय के बारे में पूछे जाने पर हजारे ने महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में अपने गांव रालेगण सिद्धी में संवाददाताओं से कहा कि समाज और देश का हित उनके लिए मायने रखता है ना कि सत्तारूढ़ दल का। उन्होंने कहा, ‘‘जब भी कुछ गलत होता है, देश और समाज के खिलाफ कुछ होता है तो मैं आवाज उठाता हूं। मैंने नरेंद्र मोदी सरकार के शासनकाल में ही भूमि अधिग्रहण विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन किया था।''