कृष्ण जन्माष्टमी पर केक काटना सही है या गलत? जानें संत प्रेमानंद जी महाराज की राय

Edited By Updated: 14 Aug, 2025 08:41 PM

should you cut a cake on janmashtami here s what premanand maharaj says

सनातन धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का विशेष महत्व है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस के रूप में पूरे देश में श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाता है। इस साल जन्माष्टमी का पावन अवसर 16 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन भक्त भगवान का सोलह श्रृंगार करते...

नेशनल डेस्क : सनातन धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का विशेष महत्व है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस के रूप में पूरे देश में श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाता है। इस साल जन्माष्टमी का पावन अवसर 16 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन भक्त भगवान का सोलह श्रृंगार करते हैं, उन्हें सुंदर वस्त्र, आभूषण और फूल पहनाते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और सात्विक भोग अर्पित करते हैं।

हाल के वर्षों में कुछ लोग इस दिन केक काटकर भी श्रीकृष्ण का जन्मदिन मनाने लगे हैं। इसी पर अक्सर सवाल उठता है कि क्या यह तरीका धार्मिक दृष्टि से सही है या नहीं? इस विषय पर वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज ने अपना स्पष्ट मत दिया है।

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प्रेमानंद महाराज का दृष्टिकोण

सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में एक भक्त ने उनसे सवाल किया, 'क्या जन्माष्टमी पर केक काटकर ठाकुर जी का जन्मदिन मनाना उचित है?' इस पर महाराज ने कहा कि अधिकतर बेकरी में अंडा युक्त और अंडा रहित दोनों तरह के केक बनाए जाते हैं, और उनकी शुद्धता की पूरी गारंटी नहीं होती। पूजा और भोग में किसी भी अभक्ष्य (धर्मशास्त्रों में वर्जित) पदार्थ का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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सात्विक भोग का महत्व

महाराज ने समझाया कि जन्माष्टमी पर भगवान को सात्विक भोग अर्पित करना चाहिए। यदि श्रद्धा से घर में बनाई हुई एक साधारण रोटी पर घी लगाकर भी भोग लगाएं, तो भगवान प्रसन्न हो जाते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि भोग में पंचामृत, माखन-मिश्री, हलवा, पूरी, लड्डू और अन्य पारंपरिक व्यंजन शामिल करना अधिक उचित है।

जन्माष्टमी मनाने का सही तरीका

प्रेमानंद महाराज ने कहा, 'अगर वास्तव में जन्माष्टमी को उत्सव की तरह मनाना चाहते हैं, तो वृंदावन आकर मनाएं।' उन्होंने स्पष्ट किया कि केक काटने की बजाय पारंपरिक और सात्विक भोग के साथ भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाना ही सही और शास्त्रसम्मत तरीका है।

 

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