गोरक्षा मामले में सुनवाई छह सप्ताह के लिए टली

Edited By ,Updated: 03 May, 2017 03:11 PM

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उच्चतम न्यायालय ने गोरक्षा के नाम पर हिंसा करने के मामले में संबंधित राज्यों के पुलिस अधिकारियों से जवाब-तलब करने और उन्हें जिम्मेदार ठहराने की मांग आज ठुकरा दी।

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने गोरक्षा के नाम पर हिंसा करने के मामले में संबंधित राज्यों के पुलिस अधिकारियों से जवाब-तलब करने और उन्हें जिम्मेदार ठहराने की मांग आज ठुकरा दी। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला एवं दो अन्य याचिकाकर्ताओं की वह मांग यह कहते हुए ठुकरा दी कि इस मामले में वह फिलहाल कोई आदेश जारी नहीं करेगी।   न्यायालय ने कहा कि इस मामले में प्रतिवादी बनायी गयीं छह में से पांच राज्य सरकारों ने अभी तक अपना जवाब दायर नहीं किया है। ऐसी स्थिति में वह खुद से कोई कयास लगाना नहीं चाहता। 


याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने दलील दी थी कि गोरक्षक दलों की गैरकानूनी गतिविधियों के लिए सीधे तौर पर पुलिस अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।   न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, Þहम फिलहाल कोई आदेश जारी नहीं करना चाहते। (राज्यों से) हलफनामा तो आने दीजिए।  पीठ ने मामले की सुनवाई छह सप्ताह के लिए टालते हुए केन्द्र सरकार एवं पांच राज्यों - गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और झारखंड- को छह सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा।   कर्नाटक सरकार की ओर से जवाब दाखिल कर दिया गया है, जिसमें उसने कहा है कि वह गोरक्षा के नाम पर किसी तरह की गैर-कानूनी गतिविधियों का समर्थन नहीं करती है। मामले की सुनवाई अब जुलाई में होगी। 

याचिकर्ताओं की दलील है कि ज्यादातर गोरक्षक आपराधिक गतिविधियों में शामिल हैं और गोरक्षा के नाम पर ङ्क्षहसा फैलाते हैं। इस बीच ओडिशा के एक संगठन विश्व गोरक्षा वाहिनी ने भी इस मामले में वादकालीन याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई का अनुरोध न्यायालय ने स्वीकार कर लिया है। 

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