सुप्रीम कोर्ट की दो टूक, निष्पक्ष चुनाव को कमजोर करने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती

Edited By Yaspal,Updated: 23 Jul, 2021 10:45 PM

supreme court bluntly no one can be allowed to undermine fair elections

बूथ कैप्चरिंग या बोगस वोटिंग के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी प्रयास को कड़ाई से से डील किया जाएगा, क्योंकि ये लोकतंत्र और कानून के राज को प्रभावित करता है। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड में पोलिंग बूथ...

नई दिल्लीः बूथ कैप्चरिंग या बोगस वोटिंग के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी प्रयास को कड़ाई से से डील किया जाएगा, क्योंकि ये लोकतंत्र और कानून के राज को प्रभावित करता है। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड में पोलिंग बूथ पर दंगा-फसाद करने के मामले में दोषी करार दिए गए शख्स की अपील खारिज करते हुए उक्त टिप्पणी की।

अदालत ने कहा कि लोकतंत्र और स्वतंत्र निष्पक्ष चुनाव संविधान के बेसिक फीचर का पार्ट है। चुनाव ऐसा मैकेनिज्म है जिससे जनादेश का पता चलता है। किसी को भी इस बात की इजाजत नहीं दी जा सकती है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करे।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने पहले के फैसले का हवाला देते हुए कहा, 'अभिव्यक्ति के अधिकार में वोट देने की स्वतंत्रता शामिल है। मतदान की जो व्यवस्था है उसके तहत ये सुनिश्चित होना चाहिए कि हर वोटर अपनी मर्जी से बिना किसी दबाव के वोटिंग करे। ऐसे में बोगस वोटिंग या बूथ कैप्चरिंग का कोई भी प्रयास बेहद कड़ाई के साथ डील किया जाएगा।'

शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि गुप्त मतदान लोकतंत्र की मजबूती के लिए अनिवार्य है। लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव में गोपनीयता बहुत जरूरी है और लोकतंत्र में जहां सीधे चुनाव होते हैं वहां वोटर के मत का बहुत ज्यादा महत्व है। कोर्ट ने कहा कि ये सुनिश्चित होना चाहिए कि जो मतदाता हैं वह बिना किसी डर और भय के वोट करें क्योंकि अगर उनके मत के बारे में जानकारी उजागर हुआ तो उन्हें परेशान किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'लोकतंत्र और स्वतंत्र निष्पक्ष चुनाव संविधान के बेसिक फीचर का पार्ट है। चुनाव ऐसा मैकेनिज्म है जिससे जनादेश का पता चलता है। किसी को भी इस बात की इजाजत नहीं दी जा सकती है कि स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव को खराब करने की इजाजत किसी को भी नहीं दी जा सकती है।' सुप्रीम कोर्ट ने लक्ष्मण सिंह नामक शख्स की अर्जी खारिज कर दी। उसे आईपीसी की धारा-147 यानी दंगा फसाद और 323 (चोट पहुंचाने) के मामले में दोषी करार दिया गया था जिस फैसले को उसने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

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