कारों की बढ़ती संख्या को लेकर SC चिंतित, कहा- 'हम दो हमारे दो' का सिद्धांत करें लागू

Edited By vasudha,Updated: 30 Mar, 2019 12:00 PM

supreme court concerned over the increasing number of cars

दिल्‍ली-एनसीआर में लगातार बढ़ती आबादी और गाड़ियों की संख्या ने प्रदूषण और ट्रैफिक जाम की समस्या को और बढ़ा दिया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर चिंता जताते हुए  ‘हम दो, हमारे दो’ के परिवार नियोजन फॉमूले को अपनाने का सुझाव दिया...

नेशनल डेस्क: दिल्‍ली-एनसीआर में लगातार बढ़ती आबादी और गाड़ियों की संख्या ने प्रदूषण और ट्रैफिक जाम की समस्या को और बढ़ा दिया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर चिंता जताते हुए  ‘हम दो, हमारे दो’ के परिवार नियोजन फॉमूले को अपनाने का सुझाव दिया। 
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जस्टिस अरुण मिश्र और दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने शुक्रवार को ऑटो बनाने वाली थ्री व्हीलर कंपनी की याचिका की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में ऑटोरिक्शा की संख्या को लेकर लगे प्रतिबंध को तब ही हटाया जा सकता है जब इसे लेकर जमीनी आंकड़े जुटाए जाएं और यह पता लगाया जा सके कि शहर की सड़कें कितने वाहनों को सहन करने में सक्षम हैं? 
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पीठ ने कहा कि दिल्ली को रहने लायक स्थान बनाने के लिए कारों की संख्या और दूसरे वाहनों की संख्या को कम करना अनिवार्य है। ऐसे घर जहां कमानेवालों की संख्या 2 या इससे अधिक है, वहां 1 से अधिक संख्या में कार होने में कोई बुराई नहीं है लेकिन एक ही व्यक्ति के नाम पर पांच कारें चिंता का विषय है। 

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पीठ ने कहा कि बढ़ती हुई गाड़ियों की संख्या के कारण पार्किंग स्पेस को लेकर आए दिन झगड़े होते रहते हैं। क्या कारों के लिए हम कोई फैमिली प्लानिंग हम दो हमारे दो के तर्ज पर कोई नियम नहीं बना सकते हैं? उन्होंने कहा कि दिल्ली में पहले से ही बहुत भीड़ है और यहां 32 लाख कारें हैं। ऐसी स्थिति में ऑटो रिक्शाओं की संख्या में बढ़ोतरी होने पर और अधिक जाम की समस्या देखने को मिल सकती है और वाहनों की गति पर भी खराब असर देखने को मिल सकता है।

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