Edited By Anil dev,Updated: 19 Mar, 2019 09:26 AM
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि किसी आवासीय सोसाइटी में कोई व्यक्ति फ्लैट की बालकनी में चिडिय़ों को इस तरह दाना नहीं खिला सकता जिससे दाना गिरने और गंदगी फैलने से दूसरे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़े। शीर्ष अदालत ने मुम्बई की बहुमंजिला इमारत में रहने...
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि किसी आवासीय सोसाइटी में कोई व्यक्ति फ्लैट की बालकनी में चिडिय़ों को इस तरह दाना नहीं खिला सकता जिससे दाना गिरने और गंदगी फैलने से दूसरे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़े। शीर्ष अदालत ने मुम्बई की बहुमंजिला इमारत में रहने वाली एक महिला के पक्षियों को दाना खिलाने से रोकने का आदेश देने के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूति इंदु मल्होत्रा की पीठ ने कहा, ‘अगर आप एक आवासीय सोसाइटी में रह रहे हैं तो आपको तय नियमों के अनुसार ही रहना होगा।’ साल 2011 में दसवीं मंजिल पर रह रहे दिलीप सुमनलाल शाह और मीना शाह ने 14वीं मंजिल पर रह रहीं जिगिशा ठाकुर और उनके परिवार के खिलाफ वाद दायर किया था। इस इमारत में बीस मंजिल हैं। शाह ने कहा था कि ठाकुर परिवार अपनी बालकनी से पक्षियों को दाना और पानी देते हैं जिससे उन्हें और अन्य परिवारों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। उनके ऐसा करने से बड़ी संख्या में पक्षी वहां आ जाते हैं और गंदगी फैलाते है। इसमें कहा गया है कि ठाकुर परिवार सुबह साढ़े छह बजे से यह काम शुरू कर देता है और उस समय कई लोग सो रहे होते हैं।
याचिका में कहा गया था कि ठाकुर परिवार को चिडिय़ों को दाना खिलाने के लिए सार्वजनिक स्थल का प्रयोग करना चाहिए। ठाकुर परिवर ने अपने जवाब में कहा कि वे पशुकल्याण से जुड़े कार्यकर्ता हैं और वह 1998 से ही एक एनजीओ से जुड़े हुए हैं। वे कुत्तों के लिए शरणस्थल भी चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि शाह इस एनजीओ को दवाइयां और दूसरे जरूरी सामान की आपूर्ति करते थे लेकिन उनके रिश्तों में खटास आ गई। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक स्थल पर चिडिय़ों को इसलिए दाना नहीं डाला जा सकता क्योंकि वहां वाहन दुर्घटना हो सकती है या फिर कुत्ते या दूसरे जानवर हमला कर सकते हैं।