भारत-अमेरिका के लिए कठिन अग्निपरीक्षा जैसा रहा साल 2025, इन बड़े मुद्दों ने बिगाड़े आपसी संबंध

Edited By Updated: 28 Dec, 2025 04:04 PM

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2025 में भारत-अमेरिका संबंधों को व्यापारिक शुल्क, पाकिस्तान मुद्दे, रूस से तेल खरीद और H-1B वीज़ा प्रतिबंधों ने कठिन परीक्षा में डाल दिया। हालांकि रक्षा सहयोग और रणनीतिक संवाद जारी रहा, लेकिन ट्रंप प्रशासन की नीतियों से रिश्तों में अभूतपूर्व तनाव भी...

International Desk: वर्ष 2025 भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों के लिए अब तक की सबसे चुनौतीपूर्ण अवधि बनकर उभरा है। व्यापारिक शुल्क, पाकिस्तान से सैन्य टकराव, रूस से ऊर्जा संबंध और H-1B वीज़ा पर कड़े प्रतिबंधों ने दोनों देशों के रिश्तों को कई दशकों में पहली बार गंभीर तनाव की स्थिति में ला खड़ा किया। हालांकि साल की शुरुआत बेहद सकारात्मक रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी में वाशिंगटन दौरे के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। यह ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में पहली भारत-अमेरिका शिखर बैठक थी। दोनों नेताओं ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने के लक्ष्य के साथ 10 वर्षीय रक्षा ढांचा समझौते पर हस्ताक्षर किए।

 

शुल्क विवाद ने बिगाड़ा माहौल
जैसे-जैसे वर्ष आगे बढ़ा, रिश्तों में दरारें दिखने लगीं। राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत को “अत्यधिक शुल्क लगाने वाला देश” करार दिया, जबकि उनके व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भारत को “शुल्कों का महाराजा” कहा। 2 अप्रैल को ट्रंप ने ‘मुक्ति दिवस’ घोषित करते हुए भारत पर 26 प्रतिशत प्रतिशोधी शुल्क लगाया, जो बाद में बढ़कर कुल 50 प्रतिशत तक पहुंच गया। इससे द्विपक्षीय व्यापार संबंधों में भारी तनाव पैदा हो गया।

 

पहलगाम हमला और ‘ऑपरेशन सिंदूर’
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 नागरिकों की मौत के बाद भारत ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। हालांकि 10 मई को ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका ने भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम कराया, लेकिन भारत ने इस दावे को सख्ती से खारिज कर दिया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने स्पष्ट कहा कि न तो किसी व्यापार सौदे पर और न ही किसी मध्यस्थता पर कोई चर्चा हुई।

 

रूसी तेल पर नाराज़गी
अमेरिका भारत द्वारा रूस से तेल खरीद का लगातार विरोध करता रहा। ट्रंप प्रशासन ने इसे यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में अनुचित बताया और अगस्त में भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगा दिया। इस कदम की अमेरिकी सांसदों ने भी आलोचना की।

 

H-1B वीज़ा पर सख्ती
2025 में अमेरिका की कठोर आव्रजन नीति का सबसे बड़ा असर भारतीय पेशेवरों पर पड़ा। H-1B वीज़ा नियमों में सख्ती से आईटी और टेक सेक्टर में अनिश्चितता बढ़ी, जिससे भारत में भी चिंता का माहौल बना। तनाव के बावजूद दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग पूरी तरह नहीं टूटा। अमेरिका ने 26/11 मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा को भारत को सौंपा और ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ को आतंकवादी संगठन घोषित किया।अक्टूबर में दोनों देशों ने अमेरिका-भारत प्रमुख रक्षा साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को और मजबूत किया।

 

 प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच लगातार संवाद इस बात का संकेत है कि मतभेदों के बावजूद दोनों देश रिश्तों को संभालने की कोशिश कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि भारत और अमेरिका वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए मिलकर काम करते रहेंगे, जबकि ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि वह अगले वर्ष भारत यात्रा कर सकते हैं।
 
 

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