Edited By Mahima,Updated: 16 Apr, 2024 10:43 AM
सीरिया में हाल ही में हुए हमले के बाद, इसराइल और ईरान के बीच तनाव बढ़ रहा है। ईरान ने शनिवार को इजराइल पर एक साथ ड्रोन और मिसाइलों के हमले किए। इसके परिणामस्वरूप, दुनिया भर के देशों ने अपनी समर्थन और चिंता जाहिर की है।
नेशनल डेस्क: सीरिया में हाल ही में हुए हमले के बाद, इसराइल और ईरान के बीच तनाव बढ़ रहा है। ईरान ने शनिवार को इजराइल पर एक साथ ड्रोन और मिसाइलों के हमले किए। इसके परिणामस्वरूप, दुनिया भर के देशों ने अपनी समर्थन और चिंता जाहिर की है। जी7 देशों ने इसराइल और उसके लोगों के प्रति पूर्ण समर्थन और एकजुटता जताई। इसमें अमेरिका, कनाडा, इटली, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और जापान के साथ-साथ यूरोपीय संघ शामिल हैं।
अमेरिका का पक्ष
अमेरिका ने स्पष्ट किया कि वह ईरान के साथ युद्ध नहीं चाहता। राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रपति बाइडेन ने कई बार यह बयान दिया है कि उन्हें क्षेत्र में युद्ध की इच्छा नहीं है। हम ईरान के साथ युद्ध में उलझना नहीं चाहते हैं।
ईरान का जवाब
ईरान ने अपने सशस्त्र बलों द्वारा इस हमले को स्वीकारा और आत्मरक्षा के अधिकार का प्रयोग कहा। उन्होंने दावा किया कि यह कार्रवाई संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुच्छेद 51 के तहत हुई और इसे स्वीकार्य बताया। ये कार्रवाई आवश्यक और नियमों के मुताबिक थी। ये बिलकुल सटीक थी और केवल सैन्य उद्देश्यों के लिए थी। इसे तनाव बढ़ने की आशंका को कम करने और नागरिक क्षति को रोकने के लिए सावधानीपूर्वक अंजाम दिया गया।
यूनाइटेड नेशन्स में राय:
सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के कर्तव्य में असफल रही है। रूस ने इसे खतरनाक कृत्य मानते हुए इसकी निंदा करने के लिए एक प्रस्ताव रखा जिसका चीन अल्जीरिया और कई सदस्यों ने समर्थन किया था लेकिन अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने इसे रोक दिया था। ईरान ने अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत आत्मरक्षा का प्रयोग किया है, जो कि अधिकांश देशों द्वारा स्वीकार्य माना गया है।