नए आर्मी चीफ और भारतीय वायुसेना प्रमुख के बारे में जानिए ये बातें

Edited By ,Updated: 18 Dec, 2016 05:03 PM

things about new army chief and air force chief

केंद्र सरकार ने नए सेना प्रमुख और वायुसेनाध्यक्ष का ऐलान कर दिया है। लेफ्ट जनरल बिपिन रावत नए सेनाध्यक्ष होंगे, जबकि वायु सेना की कमान एअर मार्शल बी.एस. धनोआ संभालेंगे।

चंडीगढ़ : केंद्र सरकार ने नए सेना प्रमुख और वायुसेनाध्यक्ष का ऐलान कर दिया है। लेफ्ट जनरल बिपिन रावत नए सेनाध्यक्ष होंगे, जबकि वायु सेना की कमान एअर मार्शल बी.एस. धनोआ संभालेंगे। बिपिन रावत मौजूदा सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह का स्थान लेंगे, जो 31 दिसंबर 2016 को रिटायर हो रहे हैं, वहीं वर्तमान वायुसेना प्रमुख अरुप साहा के 31 दिसंबर 2016 को रिटायर होने के बाद बी.एस. धनोआ उनका स्थान लेंगे। जानिए इनके बारे में कुछ ख़ास : 

 बी. एस. धनोआ :

1 - बीरेंद्र सिंह धनोआ का जन्म पंजाब में मोहाली जिले के गांव घंड़ूआं में हुआ था. उनका एक बेटा है, जो वकालत की पढ़ाई कर रहा है.

2 - बीएस धनोआ के पिता सरयान सिंह एक आईएएस अधिकारी थे, जो 80 के दशक में पंजाब के चीफ सेक्रेटरी के पद पर रह चुके हैं. इसके साथ ही पंजाब के गवर्नर के सलाहकार के पद पर भी रह चुके हैं. उनके दादा संत सिंह दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना में बतौर कैप्टन अपनी सेवाएं दे चुके हैं.

3 - धनोआ को जून 1978 में वायुसेना की लड़ाकू धारा में शामिल किया गया. वो स्क्वाड्रनों एवं वायुसेना के खुफिया निदेशालय मुख्यालय में सेवाएं दी हैं.

4 - एयर मार्शल धनोआ एक योग्य फ्लाइंग प्रशिक्षक हैं और उन्होंने अपने प्रतिष्ठित करियर के दौरान अनेक प्रकार के लड़ाकू विमान उड़ाए हैं.

5 - बी. एस. धनोआ ने करगिल युद्ध के दौरान लड़ाकू स्क्वाड्रन का नेतृत्व किया था और स्वयं पहाड़ी इलाकों में अनेक रात्रिकालीन मिशन उड़ानें भरी थीं. 

6 - उन्हें लड़ाकू बेस के स्टेशन कमांडर और विदेश में भारतीय सैन्य प्रशिक्षण दल के नेता सहित अनेक महत्वपूर्ण परिचालन नियुक्तियों का कार्यभार संभालने का गौरव प्राप्त है. उन्हें लड़ाकू बेस के स्टेशन कमांडर और विदेश में भारतीय सैन्य प्रशिक्षण दल के नेता सहित अनेक महत्वपूर्ण परिचालन नियुक्तियों का कार्यभार संभालने का गौरव प्राप्त है.

7 - धनोआ को भारत के राष्ट्रपति की ओर से 1999 में युद्ध सेवा पदक (वाईएसएन), वायु सेना पदक (वीएन) और 2015 में अति विशिष्ट सेवा पदक (एवीएसएम) से सम्मानित किया गया था.

बिपिन रावत :


1- बिपिन रावत ने भारतीय सेना दिसंबर 1978 में ज्वॉइन की थी। 1978 में इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून से ग्रेजुएशन किया इस दौरान उन्होंने वहां स्वोर्ड ऑफ ऑनर हासिल किया। इसके बाद वे गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में कमीशन हुए। 

2- लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत के पिता भी सेना में लेफ्टिनेंट जनरल थे। लेफ्टिनेंट जनरल रावत की पढ़ाई- लिखाई शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल में हुई।

3- वे गोरखा बटालियन से सेना प्रमुख बनने वाले लगातार दुसरे अफसर हैं। वतर्मान सेना प्रमुख दलबीर सिहं सुहाग भी गोरखा राइफल्स से हैं।

4-  वाइस चीफ नियुक्त किए जाने से पहले रावत को पुणे स्थित दक्षिणी कमान का कमांडिंग ऑफिसर बनाया गया था। मिलिट्री ऑपरेशंस डायरेक्टोरेट में वे जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड 2 रहे।

5- लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को ऊंची चोटियों की लड़ाई में महारत हासिल है। वे कश्मीर घाटी के मामलों पर अच्छी पकड़ रखते हैं। लेफ्टिनेंट जनरल रावत को काउंटर इंसर्जेंसी का विशेषज्ञ माना जाता है। कश्मीर घाटी में राष्ट्रीय राइफल्स और इंफैंट्री डिवीजन के वे कमांडिंग ऑफिसर रह चुके हैं। 

6- लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में चमत्कारिक रुप से बच गए थे जब वे दीमापुर स्थित सेना मुख्यालय कोर 3 के कमांडर थे।

7- लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत 2008 में कांगों में यूएन के शांति मिशन को कमान संभाल चुके हैं। इस दौरान उनके द्वारा किए गए काम काफी सराहनीय रहे। यूनाइटेड नेशंस के साथ काम करते हुए भी उनको दो बार फोर्स कमांडर कमेंडेशन का अवार्ड दिया गया।

8- लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत ने मिलिट्री मीडिया स्ट्रेटजी स्टडीज में रिसर्च की जिसके लिए 2011 में चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी ने उनको पीएचडी की उपाधि दी।

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