Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Jan, 2018 09:03 PM
29 जनवरी से संसद का बजट सत्र शुरू होने वाला है। 1 फरवरी को आम बजट पेश होने की उम्मीद है। कयास लगाया जा रहा है कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस बार का बजट राहत देने वाला हो। यही कारण है कि इस बार का बजट लोकलुभावन भी हो सकता है।
नेशनल डेस्क: 29 जनवरी से संसद का बजट सत्र शुरू होने वाला है। 1 फरवरी को आम बजट पेश होने की उम्मीद है। कयास लगाया जा रहा है कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस बार का बजट राहत देने वाला हो। यही कारण है कि इस बार का बजट लोकलुभावन भी हो सकता है।
मिडिल क्लास को राहत
वर्ष 2019 में होने लोकसभा की तैयारी में बीजेपी ने अभी से कमर कस लगी है। मोदी सरकार का यह आगामी बजट भी इस चुनाव को केंद्र में रखकर तैयार किया जा रहा है। इस बजट में सबसे अधिक फोकस मध्यम वर्ग पर किया जाएगा। इस वर्ग को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2018-19 के आगामी आम बजट में सरकार कर छूट सीमा बढ़ाने के साथ-साथ कर स्लैब में भी बदलाव कर सकती है।
आयकर सीमा में होगा बदलाव
इसके तहत वित्त मंत्रालय के समक्ष व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को मौजूदा ढाई लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये करने का प्रस्ताव है। हालांकि, छूट सीमा को पांच लाख रुपये तक बढ़ाने की समय-समय पर मांग उठती रही है। वर्ष 2018-19 का आम बजट मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट होगा। इस बजट में सरकार सबसे अधिक वेतनभोगी वाले तबके यानि मध्यम वर्ग को बड़ी राहत देने पर गंभीरता के साथ विचार कर रही है। सरकार का इरादा है कि इस वर्ग को खुदरा मुद्रास्फीति के प्रभाव से राहत दी मिलनी चाहिए।
पिछले साल नहीं हुए था बदलाव
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले बजट में आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया लेकिन छोटे करदाताओं को राहत देते हुए सबसे निचले स्लैब में आयकर की दर 10 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दी थी। सबसे निचले स्लैब में ढाई लाख से लेकर पांच लाख रुपये सालाना कमाई करने वाला वर्ग आता है।