Edited By Yaspal,Updated: 12 Mar, 2022 11:15 PM
ब्रिटेन ने कहा है कि भारत के साथ संबंध बढ़ाने पर ध्यान देने के साथ-साथ अपनी-अपनी हिंद-प्रशांत रणनीतियों के क्रियान्वयन में समन्वय के लिए अमेरिका और ब्रिटेन प्रतिबद्ध हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में हिंद-प्रशांत पर आयोजित ‘‘उच्च-स्तरीय परामर्श'''' में...
नेशनल डेस्कः ब्रिटेन ने कहा है कि भारत के साथ संबंध बढ़ाने पर ध्यान देने के साथ-साथ अपनी-अपनी हिंद-प्रशांत रणनीतियों के क्रियान्वयन में समन्वय के लिए अमेरिका और ब्रिटेन प्रतिबद्ध हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में हिंद-प्रशांत पर आयोजित ‘‘उच्च-स्तरीय परामर्श'' में दोनों सरकारों के अधिकारियों ने इस क्षेत्र में आपसी तालमेल और सहयोग को व्यापक और गहरा करने का संकल्प लिया। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच की जा रही कई बैठकों में से एक इस वार्ता में ‘‘चीन के साथ व्यवस्थागत प्रतिस्पर्धा की चुनौती'' का सामना करने की तैयारियों का भी आकलन किया गया।
बैठक के बाद शुक्रवार को जारी संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘आगामी महीनों में अमेरिका और ब्रिटेन प्रशांत क्षेत्र के द्वीप समूह के साथ साझेदारी में निवेश करने के लिए मिलकर काम करेंगे। आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) की केंद्रीयता का समर्थन करने तथा आसियान और उसके सदस्य राष्ट्रों के साथ ठोस सहयोग को आगे बढ़ाने तथा भारत के साथ संबंध बढ़ाने के लिए मिलकर काम करेंगे।''
बयान में कहा गया, ‘‘अमेरिका और ब्रिटेन के अधिकारी दोनों देशों की हिंद-प्रशांत नीति के क्रियान्वयन के समन्वय के लिए प्रतिबद्ध हैं, जैसा कि इसकी एकीकृत समीक्षा में निर्धारित किया गया है। स्वच्छ ऊर्जा पहल और दुनिया की बेहतरी के एजेंडा के हिस्से के रूप में महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों पर सहयोग, आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा आर्थिक दबाव को दरकिनार करने के लिए साथ मिलकर काम करने का फैसला हुआ।''
सोमवार और मंगलवार को वार्ता के लिए अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व हिंद-प्रशांत नीति के समन्वयक कर्ट कैंपबेल ने किया तथा इसमें विदेश विभाग, रक्षा विभाग और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रतिनिधि शामिल थे। ब्रिटेन के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डेविड क्वारे ने किया और इसमें ब्रिटेन सरकार के प्रतिनिधि शामिल थे।
कुछ दिनों पहले ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज ट्रूस ने ब्रिटेन की संसद की विदेश मामलों की समिति (एफएसी) को बताया था कि रूस पर भारत की निर्भरता का मुकाबला करने के लिए भारत के साथ घनिष्ठ आर्थिक और रक्षा संबंधों को आगे बढ़ाना होगा। लंदन में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज (आईआईएसएस) में दक्षिण एशिया के सीनियर फेलो राहुल रॉय-चौधरी ने कहा कि यह ‘‘भारत के रक्षा उद्योग की ओर ब्रिटेन के एक महत्वाकांक्षी रुख में परिवर्तन का प्रतीक है।