Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Jun, 2017 06:35 PM
उत्तराखंड आंदोलनकारी गंभीर सिंह कठैत की 71 वर्षीय मां (रामेश्वरी देवी) अपने बेटे को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए 13 वर्षों से जितनी भी सरकारें व...
नई टिहरी: उत्तराखंड आंदोलनकारी गंभीर सिंह कठैत की 71 वर्षीय मां (रामेश्वरी देवी) अपने बेटे को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए 13 वर्षों से जितनी भी सरकारें व जितने भी जिलाधिकारी जिले में काबिज रहे हैं, उनके चौखट पर गुहार लगाई है।
लेकिन हर बार आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिला। रामेश्वरी देवी अब थक हारकर बौराड़ी में शहीद गंभीर सिंह स्मारक की नकाब पोश मूर्ति पर क्रमिक अनशन पर बैठ गई हैं। इससे स्पष्ट है कि सिस्टम की लापरवाही से मूर्ति की नकाब तक नहीं हटा पाए।
शहीद गंभीर सिंह की मां के साथ शहर के अन्य लोग भी गंभीर सिंह स्मारक बौराड़ी में धरने पर बैठ गए हैं। गंभीर सिंह की मां रामेश्वरी देवी व धरने पर बैठे लोंगों का कहना है कि उनके बेटे गंभीर सिंह कठैत के लिए सरकार ने शहीद की घोषणा की थी,लेकिन रिकार्ड में उन्हे शहीद का दर्जा नहीं दिया गया।
रामेश्वरी देवी ने बताया कि वर्ष 2004 से न्याय के लिए भटक रही हैं। उन्होने कहा कि बौराड़ी में गंभीर सिंह कठैत के स्मारक पर शहीद लिखा गया है, लेकिन जिला प्रशासन की कमेटी ने आन्दोलनकारी चिन्हीकरण में उनका नाम नही दिया। साथ ही बौराड़ी स्टेडियम का नाम शहीद गंभीर सिंह कठैत के नाम पर रखा लेकिन फिर नाम हटवा दिया। इसके लिए कई बार रामेश्वरी देवी आमरण अनशन व धरने पर बैठने जाती है तो प्रशासन उन्हे अश्वासन देकर धरने से बैठने से रोक देते हैं।
प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन की नाकामी के चलते बौराड़ी स्थित शहीद गंभीर सिंह कठैत की स्मारक में इन 1& सालों में एक मूर्ति का अनावरण तक नही हुआ है। ऐसे में अन्दाजा लगाया जा सकता है कि जिले में बैठे राजनेता और अधिकारी कैसे आन्दोलनकारी चिन्हीकरण कर सकते हैं। जिले में ऐसे लोंगों को आन्दोलनकारी चिन्हित किया गया है, जो आन्दोलन में ही शरीख नही थे, और सिफरीस पर आन्दोलनकारी बन गए, जिसका फायदा भी ले रहे हैं।