Edited By Mansa Devi,Updated: 08 Oct, 2025 03:18 PM

भारतीय रेलवे की शान वंदे भारत एक्सप्रेस के साथ 5 अक्टूबर को एक बड़ी ऑपरेशनल चूक सामने आई, जिसने यात्रियों के लिए परेशानी और रेलवे प्रशासन के लिए शर्मिंदगी दोनों ही पैदा कर दी। साबरमती से गुरुग्राम तक चलने वाली स्पेशल वंदे भारत ट्रेन को निर्धारित...
नेशनल डेस्क: भारतीय रेलवे की शान वंदे भारत एक्सप्रेस के साथ 5 अक्टूबर को एक बड़ी ऑपरेशनल चूक सामने आई, जिसने यात्रियों के लिए परेशानी और रेलवे प्रशासन के लिए शर्मिंदगी दोनों ही पैदा कर दी। साबरमती से गुरुग्राम तक चलने वाली स्पेशल वंदे भारत ट्रेन को निर्धारित दूरी 898 किमी तय करनी थी, लेकिन तकनीकी और ऑपरेशनल कारणों से यह 1400 किमी की लंबी यात्रा 28 घंटे में पूरी कर गई।
क्या हुआ असल में?
ट्रेन शाम 6 बजे साबरमती स्टेशन से रवाना हुई। इसका मूल रूट साबरमती, अजमेर, जयपुर, गुरुग्राम था। लेकिन मेहसाणा के पास ट्रेन को रोकना पड़ा क्योंकि रेक में हाई-रीच पैंटोग्राफ मौजूद नहीं था। यह उपकरण ओवरहेड वायर (OHE) के साथ संपर्क बनाए रखने के लिए आवश्यक है, खासकर उन रूट्स पर जहां हाई-राइज OHE सिस्टम मौजूद है। वंदे भारत का स्टैंडर्ड पैंटोग्राफ उच्च ओवरहेड वायर के लिए पर्याप्त नहीं था। रेलवे अधिकारियों ने ट्रेन को वैकल्पिक रूट अहमदाबाद – उदयपुर – कोटा – जयपुर – मथुरा के माध्यम से मोड़ने का निर्णय लिया। इस डायवर्जन के कारण यात्रा की दूरी 1400 किमी हो गई और रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई।
यात्रियों की परेशानियाँ
यात्रियों को 28 घंटे की थकाऊ यात्रा का सामना करना पड़ा। एक यात्री ने कहा, “हम 15 घंटे की यात्रा के लिए निकले थे, लेकिन ट्रेन 28 घंटे में पहुंची। यह अनुभव बेहद मुश्किल और थकाने वाला रहा।”
तकनीकी कारण और लापरवाही
एक वरिष्ठ रेल अधिकारी ने बताया कि यह समस्या डिप्लॉयमेंट से पहले चेक न होने के कारण हुई। वंदे भारत एक्सप्रेस में आमतौर पर स्टैंडर्ड पैंटोग्राफ होते हैं, लेकिन उच्च रूट्स जैसे अजमेर-दिल्ली पर हाई-राइज पैंटोग्राफ का होना अनिवार्य है। इस ट्रेन में यह चेक मिस होने से दुर्घटना टली, लेकिन रिकॉर्ड लंबी दूरी तय हुई।
रेलवे प्रशासन की सीख
यह घटना रेलवे प्रशासन के लिए चेतावनी साबित हुई कि तकनीकी जांच और रूट प्लानिंग में किसी भी तरह की लापरवाही भविष्य में यात्रियों और संचालन दोनों के लिए गंभीर परिणाम ला सकती है।