गुजरात में कई मुद्दों पर भाजपा से नाखुश मतदाता, फिर भी पार्टी को वोट देने का इरादा

Edited By rajesh kumar,Updated: 30 Nov, 2022 05:28 PM

voters unhappy with bjp on many issues in gujarat vote party

गुजरात के पोरबंदर के निवासी तुलसीदास लखानी की कई शिकायतें हैं और सरकार के लिए मांगों की एक लंबी फेहरिस्त है। अहमदाबाद से लगभग 400 किलोमीटर पोरबंदर में ही विनोद गोपाल की भी कुछ इसी तरह की शिकायतें और मांगें हैं।

नेशनल डेस्क: गुजरात के पोरबंदर के निवासी तुलसीदास लखानी की कई शिकायतें हैं और सरकार के लिए मांगों की एक लंबी फेहरिस्त है। अहमदाबाद से लगभग 400 किलोमीटर पोरबंदर में ही विनोद गोपाल की भी कुछ इसी तरह की शिकायतें और मांगें हैं। गुजरात में भाजपा का काफी दबदबा है और उसे लोगों के एक बड़े हिस्से का समर्थन हासिल है। ऐसे में लखानी और गोपाल की बातों से लगता है कि मतदाता बदलाव की ओर देख रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई बेहतर विकल्प नजर नहीं आ रहा।

मोदी या भाजपा को कोई विकल्प नहीं
लगभग 80 साल के लखानी ने कहा, “मजबूत सरकार बननी चाहिए। कौन सी दूसरी पार्टी है अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी कर सकती थी या अयोध्या में राम मंदिर बनवा सकती थी। हम पार्टी को वोट देते हैं, किसी उम्मीदवार को नहीं। मोदी या भाजपा को कोई विकल्प नहीं है।” उन्होंने कहा कि तटीय शहर पोरबंदर में आर्थिक विकास का अभाव एक समस्या है। लखानी ने कहा कि कई लोगों को रोजगार देने वाली महाराणा मिल बंद है, स्थानीय व्यापार को बढ़ावा देने वाली पुरानी ‘सोडा ऐश फैक्टरी' में अब वो बात नहीं रही है। बच्चों की पढ़ाई और रोजगार के अवसर सीमित हैं। हालांकि, लखानी ने कभी अपराधों के लिए चर्चित पोरबंदर शहर में मजबूत कानून व्यवस्था के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सराहना की।

भाजपा उनके लिए सबसे बेहतर विकल्प
अहमदाबाद में वाहनों पुर्जों के कारोबारी गोपाल ने कहा कि व्यापार मंदा है और महंगाई बहुत है। उन्होंने कहा कि अपने गृह नगर गुजरात में पार्टी के पर्याय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक अच्छे “सेठ” हैं। गोपाल ने कहा, “उनके अधीन काम करने वाले सलाहकार अच्छे हो सकते हैं या नहीं भी हो सकते। लेकिन आप सलाहकारों को पकड़कर 'सेठ' को नहीं जाने दे सकते।” लखानी और गोपाल कई मुद्दों पर राज्य की भाजपा सरकार से नाखुश हो सकते हैं लेकिन फिर भी पार्टी को वोट देने की बात कहते हैं क्योंकि उनका मानना है भाजपा उनके लिए सबसे बेहतर विकल्प है। राजकोट, अहमदाबाद, सूरत, पोरबंदर और वडोदरा जैसे शहरों में विपक्षी दलों की मौजूदगी कम है।

1998 से लगातार गुजरात की सत्ता पर काबिज है
चुनाव पर नजर रखने वालों के अनुसार कांग्रेस इन क्षेत्रों में सिमटती जा रही है जबकि आम आदमी पार्टी (आप) विशेष रूप से सूरत और उसके आसपास अपनी छाप छोड़ने में कामयाब है, लेकिन उसे अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है। पोरबंदर में किसी भी स्थानीय व्यक्ति से बात करने पर चावल, खाद्य तेल और रसोई गैस सिलेंडर की कीमत बढ़ने की शिकायतें सामने आती हैं। ज्यादातर मतदाताओं के लिए बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है। इनका मानना है कि सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में पर्याप्त काम नहीं कर रही। हालांकि फिर भी गोपाल और लखानी जैसे कई मतदाता भाजपा के साथ दिखाई देते हैं, जो 1998 से लगातार गुजरात की सत्ता पर काबिज है। वे भाजपा का समर्थन करने के लिए उसकी विचारधारा और सांस्कृतिक एजेंडे को भी एक बड़ा कारण मानते हैं।

विपक्षी दलों के वोट बंटे हुए दिख रहे हैं
विपक्षी दलों के वोट बंटे हुए दिख रहे हैं, ऐसे में भाजपा अपने समर्थकों को एकजुट करने में लगी है। मोदी और गृह मंत्री अमित शाह राज्य भर में जनसभाएं कर रहे हैं। शाह पार्टी के अभियान और जनसंपर्क को दुरुस्त करने के मकसद से राज्य में डेरा डाले हुए हैं। शाह कई बार विश्वास व्यक्त कर चुके हैं कि उनकी पार्टी इस बार सभी रिकॉर्ड तोड़ देगी। दूसरी ओर मोदी मतदाताओं से अपील कर रहे हैं कि वे 2002 के गुजरात विधानसभा चुनाव का रिकॉर्ड तोड़ दें जब उनके मुख्यमंत्री रहते हुए पार्टी को 182 में से 127 सीटें मिली थीं। आम आदमी पार्टी भी चुनाव में बहुमत हासिल करने का दावा कर रही है। गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए दो चरण में मतदान होगा। पहले चरण में एक दिसंबर जबकि दूसरे चरण में पांच दिसंबर को वोट डाले जाएंगे। मतगणना आठ दिसंबर को होगी।

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