समलैंगिकता अपराध है या नहीं, केंद्र सरकार ने SC पर छोड़ा फैसला

Edited By Seema Sharma,Updated: 11 Jul, 2018 12:52 PM

whether homosexuality is crime or not central government decides to leave sc

समलैंगिकता (धारा 377) पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज भी जारी है। केंद्र ने आज इस मामले में कोर्ट में कहा कि दो वयस्कों के बीच सहमति से बनाए संबंधों से जुड़ी धारा 377 की वैधता के मसले को हम अदालत के विवेक पर छोड़ते हैं। केंद्र ने कोर्ट से अनुरोध किया...

नई दिल्लीः समलैंगिकता (धारा 377) पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज भी जारी है। केंद्र ने आज इस मामले में कोर्ट में कहा कि दो वयस्कों के बीच सहमति से बनाए संबंधों से जुड़ी धारा 377 की वैधता के मसले को हम अदालत के विवेक पर छोड़ते हैं। केंद्र ने कोर्ट से अनुरोध किया कि समलैंगिक विवाह, संपत्ति और पैतृक अधिकारों जैसे मुद्दों पर विचार नहीं किया जाए क्योंकि इसके कई प्रतिकूल नतीजे होंगे। वहीं कोर्ट ने कहा कि वह खुद को इस बात पर विचार करने तक सीमित रखेगा कि धारा 377 दो वयस्कों के बीच सहमति से बनाए संबंधों को लेकर असंवैधानिक है या नहीं।
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बता दें कि इससे पहले मंगलवार को कोर्ट ने सुनवाई के दौरान महाभारत काल के शिखंडी का भी जिक्र किया। दरअसल शिखंडी भीष्म पितामह से प्रतिशोध लेना चाहता था और उस समय वह घोर तपस्या करके स्त्री से पुरुष बना था। कोर्ट ने इसका उदाहरण देते हुए कहा कि 160 साल पहले जो चीज नैतिक मूल्यों के दायरे में आती थी, वह आज नहीं आती।

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वहीं धारा 377 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ में शामिल तीन न्यायाधीशों के बीच इस प्रावधान की जांच के दायरे को लेकर मतभेद उभर आए। अटार्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने समलैंगिकता के मुद्दे से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के सामने सुनवाई में पेश होने से खुद को अलग कर लिया।

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