Edited By ,Updated: 24 Jan, 2015 04:12 PM
चाहे आज के समय की खुराकें तथा वातावरण के कारण मनुष्य की औसत उम्र 60-65 साल तक की ही रह गई है, पर पुरानी पौष्टिक खुराकों से पले व्यक्ति उम्र के पक्ष से सैंकड़े मार रहे हैं।
बाघापुराना (चुटानी): चाहे आज के समय की खुराकें तथा वातावरण के कारण मनुष्य की औसत उम्र 60-65 साल तक की ही रह गई है, पर पुरानी पौष्टिक खुराकों से पले व्यक्ति उम्र के पक्ष से सैंकड़े मार रहे हैं।
गांव कोटला रायका की बचन कौर ने तो उम्र के सैंकड़े के बाद 6 सालों का सफर और भी तय कर लिया है तथा उसकी शारीरिक गतिविधियों से तो यूं लगता है कि जल्दी कहीं उसकी जिंदगी को विराम नहीं लगेगा, क्योंकि 106 सालों का लंबा सफर तय करने के बाद वह अभी भी घर की जवान गृहिणियों के बराबर काम करती हैं।
पांच पीढिय़ां देखने वाली बचन कौर की पुत्रवधू, पौत्र वधू तथा पड़पौत्र वधू जब काम करने से कन्नी कतराती हैं तो वह प्रत्येक को हमेशा यही कहती हैं कि चलो नी चलो जेकर मैं अज्ज तुरदी-फिरदी हां तां कम्म करदी होण करके ही हां, जे बैह गई तां हड्ड गोडे ही जुड़ जाणगे। पौह माघ की भीषण सर्दी में जब नौजवान भी ठुर-ठुर कर रहे होते हैं, तो बेबे बचन कौर शाल की बुक्कल मारकर आराम से चलती फिरती ही नहीं बल्कि चारपाई व पीडिय़ां बुनने के साथ-साथ घर का रोटी आदि का सारा काम भी करती है।
50 सदस्यों के बड़े परिवार की सरप्रस्त बचन कौर के दांत भी असली हैं तथा उसकी सुनने की शक्ति भी बरकरार है। माता के पुत्र अजायब सिंह तथा कश्मीर सिंह के 25 पारिवारिक मैंबरों की विशाल फुलवाड़ी की अग्रणी बेबे बचन कौर ने बताया कि उसके पति करतार सिंह, ससुर इंद्र सिंह, बेटे अजायब सिंह व कश्मीर सिंह की मेहनत से उसके परिवार का इलाके भर में रोशन हुआ नाम भी उसकी मानसिक तसल्ली, तंदरुस्ती तथा लम्बी उम्र का राज है।