अखंड भारत ही हमारा स्वप्न

Edited By Anu Malhotra,Updated: 30 Apr, 2022 12:24 PM

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हम इसमें से प्राचीन नाम जम्बूद्वीप जिसे आज एशिया द्वीप कहते हैं तथा इन्दू सरोवरम् जिसे आज हिन्द महासागर कहते हैं, के निवासी हैं। जम्बूद्वीप (एशिया) के लगभग मध्य में हिमालय पर्वत स्थित है जिसमें विश्व की सर्वाधिक ऊंची चोटी सागरमाथा गौरीशंकर है, जिसे...

पृथ्वी पर जिस भू-भाग अर्थात् राष्ट्र के हम निवासी हैं उस भू-भाग का वर्णन अग्नि, वायु एवं विष्णु पुराण में लगभग समानार्थी श्लोक के रूप में है :
उत्तरं यत् समुद्रस्यए हिमाद्रश्चैव दक्षिणम्। वर्ष तद् भारतं नामए भारती यत्र संतति।।

अर्थात् हिन्द महासागर के उत्तर में तथा हिमालय पर्वत के दक्षिण में जो भू-भाग है उसे भारत कहते हैं और वहां के समाज को भारती या भारतीय के नाम से पहचानते हैं। पूरी पृथ्वी का जल और थल तत्वों में वर्गीकरण करने पर सात द्वीप एवं सात महासमुद्र माने जाते हैं। हम इसमें से प्राचीन नाम जम्बूद्वीप जिसे आज एशिया द्वीप कहते हैं तथा इन्दू सरोवरम् जिसे आज हिन्द महासागर कहते हैं, के निवासी हैं। जम्बूद्वीप (एशिया) के लगभग मध्य में हिमालय पर्वत स्थित है जिसमें विश्व की सर्वाधिक ऊंची चोटी सागरमाथा गौरीशंकर है, जिसे 1835 में अंग्रेज शासकों ने एवरैस्ट नाम देकर समृद्ध संस्कृति से भटकाने का प्रयास किया।

12 सदियों तक विदेशी सत्ताओं से भारतीयों ने संघर्ष वर्तमान भारत के लिए नहीं किया था। 1947 का विभाजन पिछले 2500 वर्षों में 24वां विभाजन है। अंग्रेजों द्वारा 1857 से 1947 तक भारत को 7 बार विभाजित किया गया। अफगानिस्तान के लोग शैव व प्रकृति पूजक थे, मत से बौद्ध मतावलंबी थे लेकिन मई 1876 को रूसी व ब्रिटिश शासकों (भारत) ने इसे बफर स्टेट के रूप में दोनों ताकतों के बीच स्थापित किया। 

अंग्रेजों ने नेपाल, भूटान, तिब्बत को अलग करने का षड्यंत्र रचा। 1947 में भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ। श्रीलंका और म्यांमार को राजनीतिक रूप से अलग देश का दर्जा प्रदान किया गया। फिर 1971 में भारत के सहयोग से बंगलादेश अस्तित्व में आया। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के आद्य सर संघचालक डा. हेडगेवार कभी भी आधी-अधूरी स्वाधीनता के पक्ष में नहीं रहे। वह तो सनातन भारत वर्ष ‘अखंड भारत’ की सर्वांग स्वतंत्रता के लिए पूरा जीवन संघर्षरत रहे। संघ भी ऐसी ही सर्वतो मुखी स्वतंत्रता के लिए समॢपत एवं कार्यरत है।

अखंड भारत की वर्तमान स्थिति : आजादी के पश्चात् फ्रैंच के कब्जे से पांडिचेरी, पुर्तगालियों के कब्जे से गोवा देव-दमन को मुक्त करवाया है। आज पाकिस्तान में पख्तून, बलूच, सिंधी, बाल्टिस्तानी (गिलगित मिलाकर) कश्मीरी मुजफ्फराबादी व मुहाजिर नाम से इस्लामाबाद (लाहौर) से आजादी के आंदोलन चल रहे हैं। पाकिस्तान की 60 प्रतिशत से अधिक जमीन तथा 30 प्रतिशत से अधिक जनता पाकिस्तान से ही आजादी चाहती है। 

बंगलादेश में बढ़ती जनसंख्या का विस्फोट, चटगांव आजादी आंदोलन उसे जर्जर कर रहा है। शिया-सुन्नी फसाद, अहमदिया व वोहरा (खोजा मलिक)पर होते जुल्म मजहबी टकराव को बोल रहे हैं। अफगानिस्तान में जिस ढंग से तालिबान काबिज हुआ और वहां की परिस्थिति जग जाहिर है। इन देशों में अल्पसंख्यकों विशेषकर ङ्क्षहदुओं की सुरक्षा तो खतरे में ही है, विश्व का एक भी मुस्लिम देश इन दोनों देशों के मुसलमानों से थोड़ी भी सहानुभूति नहीं रखता। फलस्वरूप इन देशों के 3 करोड़ से अधिक मुस्लिम (विशेष रूप से बंगलादेशी) दर-दर भटकते हैं। 

इन घुसपैठियों के कारण भारतीय मुसलमान अधिकाधिक गरीब व पिछड़ते जा रहे हैं क्योंकि इनके विकास की योजनाओं पर खर्च होने वाले धन व नौकरियों पर ही तो घुसपैठियों का कब्जा होता जा रहा है। मानवतावादी वेश धारण कराने वाले देशों में से भी कोई आगे नहीं आया। इन दर-बदर होते नागरिकों के आई.एस.आई. के एजैंट बनकर काम करने की संभावना के फलस्वरूप करोड़ों मुस्लिमों को भी संदेह के घेरे में खड़ा कर दिया है। 

आतंकवाद व माओवाद लगभग 200 समूहों के रूप में भारत व भारतीयों को डंस रहे हैं। विदेशी ताकतें हथियार, प्रशिक्षण व जेहादी, मानसिकता देकर उन प्रदेश के लोगों के द्वारा वहां के ही लोगों को मरवा कर उन्हीं प्रदेशों को बर्बाद करवा रही हैं। इस दिशा में सिटीजन अमैंडमैंट बिल के माध्यम से केंद्र सरकार ने प्रयास किए हैं। विभाजन स्थापित सत्य नहीं : यहूदियों द्वारा 1800 वर्ष संघर्ष कर 1948 में अपना देश इसराईल पुन: प्राप्त करना, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अलग हुए पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी का पुन: एक होना, 1857 के संग्राम के बाद असंभव  लगने वाली आजादी का 1947 को प्राप्त करना जैसे उदाहरण से दोबारा भारत के अखंड होने हेतु संघर्ष की प्रेरणा ली जा सकती है। 

इस समय आवश्यकता है वर्तमान भारत व पड़ोसी भारतखंडी देशों को एकजुट होकर शक्तिशाली बन खुशहाली अर्थात विकास के मार्ग में चलने की। इसलिए अंग्रेज अर्थात् ईसाईयत द्वारा रचे गए षड्यंत्र को यह सभी देश (राज्य) समझें और सांझा व्यापार और मुद्रा अपना कर इस क्षेत्र के नए युग का सूत्रपात करें। इन देशों का समूह बनाने से प्रत्येक देश में भय का वातावरण समाप्त हो जाएगा तथा प्रत्येक देश का प्रतिवर्ष के सैंकड़ों-हजारों-करोड़ों रुपए रक्षा व्यय के रूप में बचेंगे जो कि विकास पर खर्च किए जा सकेंगे। भारतीय अंतर्मन के सशक्त हस्ताक्षर गांधी जी भी अंत तक यही प्रयास करते रहे कि रामराज्य एवं ङ्क्षहद स्वराज्य जैसी भारतीय परंपराओं एवं भारत की अमर-अजर संस्कृति के आधार पर ही भारत के संविधान, शिक्षा प्रणाली-आॢथक रचना का ताना-बाना बुना जाए।

हरिद्वार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत जी ने अखंड भारत के विषय में कहा,  ‘‘विवेकानंद जी और महॢष अरविंद ने जिस भारत का सपना देखा, वह साकार होने के निकट है। वैसे तो लोग कहते हैं कि इस कार्य में अभी 20-25 वर्ष लगेंगे लेकिन मैं जो अपने अनुभव और दर्शन से देख पा रहा हूं, यह अगले 8-10 वर्षों में ही साकार हो जाएगा। यह स्वप्न पूरा होते हुए हम अपनी इसी पीढ़ी में और अपनी ही आंखों से देख लेंगे। ऐसा हमारा स्वप्न भी है, विश्वास भी है।’’

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