Edited By ,Updated: 08 Dec, 2016 02:47 PM
कभी भारतीय हॉकी की दीवार कहे जाने वाले डिफेंडर दिलीप टिर्की नक्सलवाद की राह पर जा रहे आदिवासी युवाओं...
नई दिल्ली: कभी भारतीय हॉकी की दीवार कहे जाने वाले डिफेंडर दिलीप टिर्की नक्सलवाद की राह पर जा रहे आदिवासी युवाओं को बंदूक की बजाय हॉकी स्टिक थामने के लिए प्रेरित कर रहे हैं और कभी हॉकी की नर्सरी रहे इलाके में इसी प्रयास के तहत दुनिया का सबसे बड़ा ग्रामीण हॉकी टूर्नामेंट इस सप्ताह शुरू होगा। पूर्व कप्तान टिर्की ने कहा ,‘‘ यह अपने आप में अनूठा टूर्नामेंट होगा जिसमें अभी तक 1300 टीमें भागीदारी की पुष्टि कर चुकी है।
ये टीमें आेडिशा, छत्तीसगढ और झारखंड के ग्रामीण इलाकों से हैं जो कभी हॉकी की नर्सरी हुआ करता था। मुझे नहीं लगता कि दुनिया में इस पैमाने पर इतना बड़ा कोई हाकी टूर्नामेंट कभी हुआ होगा। यह 10 दिसंबर को राउरकेला में शुरू होगा और विभिन्न शहरों में मैचों के बाद मार्च में फाइनल्स खेले जायेंगे।’’ उन्होंने बताया कि युवाओं को नक्सलवाद की राह पर जाने से रोकना और हाकी का क्रेज बनाए रखना इस आयोजन के पीछे उनकी प्रेरणा बना।
राज्यसभा में बीजद के सदस्य टिर्की ने कहा ,‘‘निजी खनन कंपनियों के शोषण, जंगलों की कटाई और इन इलाकों में सुविधाओं से वंचित युवा नक्सलवाद की राह अपना लेते हैं। हमारा मकसद उन्हें बंदूक की जगह हाकी स्टिक थामने के लिये प्रेरित करना है ताकि सकारात्मक माहौल बन सके। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि इन इलाकों में हाकी को लेकर कितना क्रेज है। बस हमारा प्रयास उसे पुनर्जीवित करने का है ।’’