भारत आयातित रक्षा आपूर्ति पर निर्भर नहीं रह सकता: राजनाथ सिंह

Edited By PTI News Agency,Updated: 13 Aug, 2020 11:47 PM

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नयी दिल्ली, 13 अगस्त (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत अपने सैन्य उपकरणों की जरुरतों को पूरा करने के लिए अन्य देशों की सरकारों और विदेशी आपूर्तिकर्ताओं के ऊपर निर्भर नहीं रह सकता तथा रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भता...

नयी दिल्ली, 13 अगस्त (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत अपने सैन्य उपकरणों की जरुरतों को पूरा करने के लिए अन्य देशों की सरकारों और विदेशी आपूर्तिकर्ताओं के ऊपर निर्भर नहीं रह सकता तथा रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भता अन्य क्षेत्र से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।

सिंह ने यह बात एक ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के कई रक्षा उपक्रमों और आयुध निर्माणी बोर्ड द्वारा लाए गए कई नए उत्पादों की शुरूआत करते हुए कही।

सिंह ने नाग मिसाइल वाहक की प्रतिकृति, 8.6x70 एमएम स्नाइपर राइफल की प्रतिकृति, पानी के अंदर रिमोट से संचालित वाहन का अनावरण किया। उन्होंने भारतीय नौसेना के लिए एक नौसेना नवोन्मेषण एवं स्वेदशी संगठन की भी शुरूआत की।
सिंह ने कहा, ‘‘किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए सुरक्षा पहली प्राथमिकता है। यह हम सभी जानते हैं कि जो राष्ट्र अपनी रक्षा करने में सक्षम हैं, वे वैश्विक स्तर पर अपनी मजबूत छवि बनाने में सफल रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए अन्य देशों की सरकारों, विदेशी आपूर्तिकर्ताओं और विदेशी रक्षा उत्पादों पर निर्भर नहीं हो सकते हैं। यह मजबूत और आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्यों और भावनाओं के अनुकूल नहीं है।’’
घरेलू रक्षा उत्पादन को बड़ा प्रोत्साहन देते हुए सिंह ने रविवार को घोषणा की कि भारत मालवाहक विमान ,हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर, पारंपरिक पनडुब्बी, क्रूज मिसाइल, समेत 101 हथियारों एवं उपकरणों का 2024 तक चरणबद्ध तरीके से आयात रोक देगा।
भारत दुनिया में हथियारों के बड़े आयातकों में एक है। एक अनुमान के अनुसार अगले पांच सालों में भारतीय सैन्यबल पूंजीगत खरीद पर 130 अरब डॉलर खर्च करेंगे।

सिंह ने कहा, ‘‘हमें न केवल अपने राष्ट्रीय हितों की पूर्ति सुनिश्चित करने में सक्षम होना चाहिए बल्कि जरूरत के समय अन्य लोगों की भी मदद करने में सक्षम होना चाहिए। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता किसी भी अन्य क्षेत्र की तुलना में कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।’’
रक्षा मंत्रालय ने अगले पांच सालों में रक्षा विनिर्माण में 1.75 लाख करोड़ रूपये के कारोबार का लक्ष्य निर्धारित किया है जिनमें 35,000 करोड़ रूपये के सैन्य हार्डवेयर के निर्यात का लक्ष्य भी है।



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