Edited By PTI News Agency,Updated: 05 Nov, 2020 05:47 PM
नयी दिल्ली, पांच नवंबर (भाषा) हुंडई मोटर इंडिया घरेलू बाजार को लेकर सतर्कता के साथ आशावादी बनी हुई है और उसे अगली तिमाहियों में दबी हुई मांग निकलने से बिक्री बढ़ने की उम्मीद है।
नयी दिल्ली, पांच नवंबर (भाषा) हुंडई मोटर इंडिया घरेलू बाजार को लेकर सतर्कता के साथ आशावादी बनी हुई है और उसे अगली तिमाहियों में दबी हुई मांग निकलने से बिक्री बढ़ने की उम्मीद है।
कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने उक्त अनुमान जताते हुए कहा कि बाजार में दीर्घकालिक मांग समग्र आर्थिक दशा पर निर्भर करेगी।
देश की दूसरी सबसे बड़ी यात्री वाहन निर्माता ने कहा कि महामारी के कारण साझा या सार्वजनिक परिवहन की जगह निजी वाहनों की ओर रुझान बढ़ेगा।
हुंडई मोटर इंडिया के प्रबंध निदेशक और सीईओ एस एस किम ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘हमारे बाजार शोध के अनुसार लगभग 10 लाख लोगों ने महामारी के चलते पैदा हुई अनिश्चितता के कारण कार खरीदने का फैसला या तो टाल दिया या इसका इरादा छोड़ दिया। इसलिए यह मांग दोबारा आएगी, हमने पहले ही दूसरी तिमाही में इस मांग को देखा है। यह मांग आने वाली तिमाहियों में जारी रहेगी।’’
उन्होंने कहा कि मांग कम से कम अगले साल की पहली तिमाही तक रहेगी।
किम ने आगे कहा, ‘‘...लेकिन अंत में समग्र बाजार की स्थिति का निर्धारण सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि जैसे आर्थिक संकेतकों के आधार पर किया जाएगा। इनका मांग पर प्रभाव पड़ेगा। फिर कोरोना वायरस की दूसरी लहर को लेकर भी चिंता है, इसलिए हम सावधानीपूर्वक आशावादी बने हुए हैं।’’
उन्होंने कहा कि यदि जरूरी हुआ तो कंपनी बाजार की स्थिति के अनुसार बदलाव करने के लिए तेजी से आगे बढ़ेगी।
किम ने कहा कि अल्पकालिक चुनौतियों के बावजूद भारत एक बहुत मजबूत ऑटोमोबाइल बाजार है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत में अभी भी कम लोगों के पास कार है और ऐसे में दीर्घकालिक दृष्टिकोण से मुझे लगता है कि भारत में नई कार की मांग के संबंध में भारी संभावनाएं हैं। छोटी अवधि में हमारे पास कुछ अनिश्चितताएं हो सकती हैं लेकिन दीर्घकालिक दृष्टिकोण से बाजार मजबूत है।’’
जीएसटी दरों में कटौती के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न देशों में अलग-अलग कराधान प्रणाली हैं, इसलिए हम सरकार की स्थिति को पूरी तरह से समझते हैं। वर्तमान कराधान संरचना के तहत हम ग्राहकों को कुछ बेहतर पेशकश देने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘लेकिन सुस्त मांग के कारण अगर सरकार कराधान या आर्थिक प्रोत्साहन के क्षेत्र में कुछ कदम उठाती है, तो यह बहुत मददगार होगा।’’
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