पूर्वी क्षेत्र में दबदबा कायम करने के लिए आक्रामक तरीके से तैनाती कर रहा चीन: दस्तावेज

Edited By Updated: 26 Jan, 2023 09:04 PM

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नयी दिल्ली, 26 जनवरी (भाषा) लद्दाख क्षेत्र में चीन की काफी अधिक आर्थिक एवं रणनीतिक जरूरत है, और यही वजह है कि वह आक्रामक तरीके से अपनी सेना की तैनाती कर रहा है ताकि वह भारत की ओर अधिक क्षेत्रों पर दावा करने के लिए बिना बाड़बंदी वाले स्थानों...

नयी दिल्ली, 26 जनवरी (भाषा) लद्दाख क्षेत्र में चीन की काफी अधिक आर्थिक एवं रणनीतिक जरूरत है, और यही वजह है कि वह आक्रामक तरीके से अपनी सेना की तैनाती कर रहा है ताकि वह भारत की ओर अधिक क्षेत्रों पर दावा करने के लिए बिना बाड़बंदी वाले स्थानों पर दबदबा कायम कर सके। यह बात एक उच्चस्तरीय बैठक में वितरित किए गए एक दस्तावेज में कही गई।

पिछले सप्ताह हुई पुलिस महानिदेशकों/पुलिस महानिरीक्षकों की बैठक में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारियों द्वारा तैयार किए गए संबंधित दस्तावेज में कहा गया है कि देश की सीमा रक्षा रणनीति को भविष्य के लिए आर्थिक प्रोत्साहन के साथ एक नया अर्थ और उद्देश्य दिया जाना चाहिए।
पत्र में कहा गया कि रणनीति को क्षेत्र-विशिष्ट बनाया जाना चाहिए, उदाहरण के लिए तुरतुक या सियाचिन सेक्टर और दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) या देपसांग मैदान में सीमा पर्यटन को आक्रामक रूप से बढ़ावा दिया जा सकता है।

डीबीओ में काराकोरम दर्रे के बारे में दस्तावेज में कहा गया कि इसका भारत के रेशम मार्ग के इतिहास से एक प्राचीन संबंध है, और घरेलू पर्यटकों के लिए क्षेत्र खोलने से इसके दूरदारज स्थित होने का विचार खत्म होगा।

दस्तावेज में कहा गया कि दर्रे पर साहसिक अभियानों को फिर से शुरू किया जा सकता है और ट्रेकिंग एवं लंबी पैदल यात्रा के क्षेत्रों को सीमित तरीके से खोला जा सकता है।

इसमें कहा गया कि पूर्वी सीमा क्षेत्र में चीन की काफी अधिक आर्थिक और रणनीतिक आवश्यकता है तथा वह आक्रामक रूप से अपनी सेना की तैनाती कर रहा है, ताकि वह भारत की ओर गश्त बिंदुओं (पीपी) से चिह्नित गैर-बाड़बंदी वाले क्षेत्रों पर दावा जताने के लिए दबदबा कायम कर सके।

तीन दिवसीय वार्षिक सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और देश के करीब 350 शीर्ष पुलिस अधिकारियों ने भी शिरकत की।

दस्तावेज में कहा गया है कि डेमचोक में छोटा कैलाश पर्वत को पूजा-अर्चना करने के वास्ते पर्यटकों के लिए खोला जा सकता है और इससे उन धर्मपरायण हिंदुओं के लिए धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिल सकता है जो मानसरोवर यात्रा पर नहीं जा सकते।



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