संवैधानिक शुचिता का सम्मान हो, नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को भी बुलाया जाए: कांग्रेस

Edited By PTI News Agency,Updated: 23 May, 2023 09:36 AM

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नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) कांग्रेस ने संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कराए जाने की मांग पर जोर देते हुए सोमवार को कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक शुचिता का सम्मान होना चाहिए।

नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) कांग्रेस ने संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कराए जाने की मांग पर जोर देते हुए सोमवार को कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक शुचिता का सम्मान होना चाहिए।

मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा कि 28 मई को होने वाले इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति की उपस्थिति होनी चाहिए और इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राष्ट्रपति मुर्मू से आग्रह करना चाहिए।
पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि 'भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सरकार' में राष्ट्रपति का पद महज प्रतीकात्मक बनकर रह गया है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने रविवार को कहा था कि संसद के नए भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नहीं, बल्कि राष्ट्रपति को करना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि नवनिर्मित संसद भवन का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गत बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री मोदी से भेंट कर उनसे इसका उद्घाटन करने का आग्रह किया था।

खरगे ने ट्वीट किया, "ऐसा लगता है कि मोदी सरकार ने दलित और आदिवासी समुदायों से राष्ट्रपति इसलिए चुना ताकि राजनीतिक लाभ लिया जा सके। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के लिए आमंत्रित नहीं किया गया। मौजूदा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी इस समारोह के लिए आमंत्रित नहीं किया जा रहा है।"

उन्होंने कहा, "संसद भारतीय गणराज्य की सर्वोच्च विधायी संस्था है और राष्ट्रपति सर्वोच्च संवैधानिक पद है। राष्ट्रपति मुर्मू सरकार, विपक्ष और हर नागरिक का प्रतिनिधित्व करती हैं। वह भारत की प्रथम नागरिक हैं।"
खरगे ने जोर दिया, "अगर संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति करती हैं तो यह लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मर्यादा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को प्रतिबिंबित करेगा।"
उन्होंने आरोप लगाया, "मोदी सरकार संवैधानिक शुचिता का बार-बार अनादर करती है और भाजपा-आरएसएस की सरकार के तहत भारत के राष्ट्रपति पद को प्रतीकात्मक बना दिया गया है।"
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘देश की संसद से भारत की आजादी का इतिहास जुड़ा है। वह केवल इमारत नहीं है। यह कहना आसान है कि संसद अंग्रेजों के समय बनी। लेकिन पैसा, कारीगर-मजदूर, इमारत में लगे पत्थर सब हमारे ही देश के थे। आज जो सवाल उठाए जा रहे हैं, सरकार को उसका जवाब देना होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब नयी संसद की नींव रखी गई तब भी राष्ट्रपति को दूर रखा गया और अब नए संसद भवन के उद्घाटन से भी राष्ट्रपति को दूर रखा जा रहा है। यह न्यायोचित नहीं है। प्रधानमंत्री जी को राष्‍ट्रपत‍ि जी से आग्रह करके उन्‍हें उद्घाटन में बुलाना चाह‍िए।’’

यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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