Edited By PTI News Agency,Updated: 08 Jul, 2020 11:52 PM
चेन्नई, आठ जुलाई (भाषा) मद्रास उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) में संशोधन को लेकर जारी अध्यादेश को चुनौती दी गयी है। इस संशोधन के तहत कोरोना वायरस महामारी के कारण कर्ज लौटाने में चूक होता है...
चेन्नई, आठ जुलाई (भाषा) मद्रास उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) में संशोधन को लेकर जारी अध्यादेश को चुनौती दी गयी है। इस संशोधन के तहत कोरोना वायरस महामारी के कारण कर्ज लौटाने में चूक होता है तो ऋण शोधन कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकेगी।
मुख्य न्यायाधीश ए पी शाही और न्यायाधीश सेंथिलकुमार राममूर्ति की पीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अतिरिक्त सोलीसीटर जनरल आर शंकरनारायणन को संबंधित प्राधिकरणों से छह सप्ताह के भीतर जरूरी निर्देश प्राप्त करने को कहा।
अतिरिक्त सोलिसीटर जनरल ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि कोविड-19 महामारी और ‘लॉकडाउन’ के कारण यह केवल अस्थायी तौर पर किया गया एक उपाय है।
शहर के फाइनेंशर एम गगन बोथरा ने जनहित याचिका में पांच जून को जारी अधिसूचना को चुनौती दी है। अधिसूचना में आईबीसी को संशोधित किया गया है। उनका कहना है कि यह संशोधन संहिता की मूल भावना के खिलाफ है।
संशोधन के अनुसार 25 मार्च से अगर कर्ज भुगतान में कोई चूक होता है तो निश्चित अवधि के लिये उस मामले को ऋण शोधन अक्षमता कार्यवाही शुरू करने के लिये विचार नहीं किया जाएगा। सरकार ने कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये 25 मार्च से ‘लॉकडाउन’ की घोषणा की थी।
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