अगर घर पहुंचता पानी,तो बच सकती थी एक बच्ची की जान

Edited By ,Updated: 21 Apr, 2016 02:07 AM

the water reached the house it could have saved a child being

महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में पिछले तीन वर्ष से बारिश की कमी और भीषण गर्मी के कारण लगभग 50 लाख से ...

मराठवाड़ा: महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में पिछले तीन वर्ष से बारिश की कमी और भीषण गर्मी के कारण लगभग 50 लाख से अधिक लोग टैंकर के पानी पर निर्भर हैं। लातूर जिले में बुधवार को फिर एक ट्रेन 25 लाख लीटर पानी लेकर पहुंची लेकिन एक 11 साल की बच्ची पानी भरने के चक्कर में अपनी जान गंवा बैठी। मराठवाडा के बीड में भीषण गर्मी में लगातार हैंडपंप से पानी भरने के कारण 11 साल की बच्ची की लू लगने से मौत हो गई।
 
बीड के साबलखेड गांव में 11 साल की योगिता रोजाना 400 मीटर दूर लगे एक हैंडपंप से 10 से ज्यादा बार पानी भरने जाती थी। रविवार को दूसरा चक्कर लगाने के दौरान उसकी मौत हो गई। वहां मौजूद लोगों ने बताया, भीषण गर्मी में बच्ची  हैंडपंप चलाते वक्त बेहोश होकर गिर पड़ी। इसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। उधर मंडल आयुक्त कार्यालय के अधिकारियों के अनुसार मराठवाडा के आठ जिलों में 3032 टैंकर से 2306 सूखा प्रभावित गांव और 806 छोटे गांवों को पेय जल की आपूर्ति की जा रही है। 
 
पिछले सप्ताह 2151 गांव और 785 छोटे गांवों में 2856 टैंकर से पेय जल की आपूर्ति की जा रही थी। मराठवाड़ा इलाके में 40 से 45 डिग्री तापमान के कारण भीषण गर्मी पड़ रही है और इसके कारण पानी की मांग भी बढ़ रही है। मराठवाडा के 843 बांधों में पानी तेजी से सूखा रहा है और वर्तमान में सिर्फ तीन प्रतिशत जल शेष रहा गया है। वर्ष 1972 के सूखे के बाद पहली बार पानी की इतनी समस्या हुई है। 

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