हॉलमार्किंगः आधी क्षमता पर हो रहा काम, ये आभूषण है दायरे से बाहर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Dec, 2017 02:12 PM

hallmarking work on half the capacity this jewelery is out of the purview

सरकार देशभर में सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाने के लिए तेजी से काम कर रही है और सोने के कारोबार में मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक लगाने एवं ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए नियम बना रही है, लेकिन इस समय हॉलमार्किंग सेंटर महज 30 से 40 फीसदी...

नई दिल्लीः सरकार देशभर में सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाने के लिए तेजी से काम कर रही है और सोने के कारोबार में मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक लगाने एवं ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए नियम बना रही है, लेकिन इस समय हॉलमार्किंग सेंटर महज 30 से 40 फीसदी क्षमता पर काम कर रहे हैं।  इस समय देश में 500 हॉलमार्किंग सेंटर हैं। प्रत्येक की क्षमता रोजाना 2,000 नगों या 20 किलोग्राम आभूषणों को हॉलमार्क करने की है। ये सेंटर मुंबई, कोलकाता, अहमदाबाद, राजकोट, चेन्नई, कोयंबत्तूर, त्रिशूर जैसे आभूषण विनिर्माण के उन प्रमुख केंद्रों के आसपास हैं, जहां से आभूषण अन्य कस्बों में भेजे जाते हैं।

प्रमुख शहरों में 10 से अधिक हॉलमार्किंग सेंटर हैं, जो चरणबद्ध तरीके से अनिवार्य हॉलमार्किंग लागू  किए जाने के लिए पर्याप्त हैं। हालांकि सरकार अब एक हॉलमार्किंग सेंटर स्थापित करने के लिए 20 से 25 लाख रुपए की सब्सिडी मुहैया करा रही है।  एक हॉलमार्किंग सेंटर का मासिक परिचालन खर्च करीब 2.5 लाख रुपए है, इसलिए किसी भी हॉलमार्किंग सेंटर के लाभ में बने रहने के लिए उसके पास रोजाना 750 नगों का कारोबार आना जरूरी है। इंडियन एसोसिएशन ऑफ हॉलमार्किंग सेंटर्स के प्रवक्ता ने कहा, 'इस स्थिति को देखते हुए हमें नहीं लगता कि छोटे कस्बों और गांवों में हॉलमार्किंग सेंटर खुलेंगे, भले ही इन्हें स्थापित करने के लिए आकर्षक सब्सिडी दी जा रही हो। इस समय बहुत से हॉलमार्किंग सेंटर 30 से 40 फीसदी क्षमता पर चल रहे हैं।'
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2 ग्राम से कम आभूषणों हॉलमार्किंग के दायरे से बाहर
2 ग्राम या उससे कम के आभूषणों को अनिवार्य हॉलमार्किंग के दायरे से बाहर रखा गया है और इन्हें बिना हॉलमार्किंग के भी बेचा जा सकता है।  इसी तरह एंटीक (पुराने) आभूषणों को भी अनिवार्य हॉलमार्किंग के नियमों से बाहर रखा गया है।  सरकार ने 24 कैरेट के आभूषणों की हॉलमार्किंग को मंजूरी देने पर भी काम शुरू कर दिया है, लेकिन सूत्रों ने बताया कि अगर अनिवार्य हॉलमार्किंग के साथ इसे भी मंजूरी दी गई तो नियमों को लागू करने में देरी हो सकती है।

इस समय सोने के गहने 9 तरह के कैरेट में बनते हैं। ये 9 से 23 कैरेट तक होते हैं यानी इनकी शुद्धता 37.4 फीसदी से लेकर 95.6 फीसदी तक होती है। पिछले सप्ताह पासवान ने बीआईएस के साथ बैठक में निर्देश दिया था कि हॉलमार्क के लोगो में कैरेट के साथ ही शुद्धता का ब्योरा भी दिया जाना चाहिए क्योंकि कस्बों के ग्राहकों को कैरेट का तो पता होता है, लेकिन उन्हें शुद्धता का नहीं पता होता। जब नए नियम लागू होंगे तो हॉलमार्क लोगो पर कैरेट और शुद्धता का संकेत होगा। सरकार ने केवल तीन श्रेणियों 14, 18 और 22 कैरेट के गहनों के विनिर्माण को ही मंजू्री दी है। 

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