प्रॉपर्टी खरीदने में आपको देने होंगे ये टैक्स

Edited By ,Updated: 18 Jul, 2016 12:48 PM

property tax registration tax

आमतौर पर घर का खरीददार बिल्डर द्वारा बताए गए कीमत को प्रॉपर्टी की फाइनल कीमत मान बैठता है।

जयपुरः आमतौर पर घर का खरीददार बिल्डर द्वारा बताए गए कीमत को प्रॉपर्टी की फाइनल कीमत मान बैठता है। जबकि सच यह है कि इसके बाद भी कीमत का एक बड़ा हिस्सा टैक्स के रूप में चुकाना पड़ता है। मोटे तौर पर प्रॉपर्टी खरीदते वक्त चार तरह के टैक्स देने पड़ते हैं। ये हैं- स्टांप ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन फीस, वैट (वेल्यू एडेड टैक्स) और सर्विस टैक्स।

रजिस्ट्रेशन टैक्स
रजिस्ट्रेशन टैक्स लगभग एक फीसदी होता है। यह अलग-अलग राज्यों के नियमों के अनुसार भिन्न हो सकता है। इसे जमा करने के लिए प्रॉपर्टी के दस्तावेजों के साथ रजिस्ट्रार ऑफिस में उपस्थित होना पड़ता है।

स्टांप ड्यूटी
स्टांप ड्यूटी सेल एग्रीमेंट पर लगाई जाती है। यह उस कानूनी प्रक्रिया का अहम हिस्सा है, जिससे खरीदने और बेचने वाले दोनों जुड़ते हैं। इसकी गणना प्रॉपर्टी के बाजार भाव या एग्रीमेंट में दर्शाई गई कीमत (दोनों में से जो ज्यादा हो) के आधार पर होती है। राज्यों में स्टांप ड्यूटी शुल्क तीन से सात फीसदी के बीच है।

सर्विस टैक्स
सर्विस टैक्स किसी निर्माणाधीन संपत्ति के लेनदेन के समय केंद्र सरकार को दिया जाता है। यह संपत्ति की कुल कीमत के 25 फीसदी हिस्से पर ही लगाया जाता है, जबकि शेष 75 फीसदी हिस्से को उस जमीन की कीमत माना जाता है। सर्विस टैक्स कुल कीमत का 3.75 फीसदी ही जमा करना होता है। 

वैट 
वैट की दरें भी स्थानीय नियमों पर निर्भर होती हैं। कुछ राज्यों में वैट निर्माणाधीन प्रॉपर्टी की पूरी कीमत पर और कुछ राज्यों में निर्माण में लगने वाले सामान की कीमत के आधार पर लगाया जाता है।

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