गुप्त नवरात्रि कल से, खास तरीके से करें कलश स्थापना

Edited By ,Updated: 04 Jul, 2016 03:02 PM

gupt navaratri

कल यानि 5 जुलाई, मंगलवार को आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से हो रहा है, जो आषाढ़ शुक्ल नवमी 13 जुलाई, बुधवार तक रहेंगे।

कल यानि 5 जुलाई, मंगलवार को आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से हो रहा है, जो आषाढ़ शुक्ल नवमी 13 जुलाई, बुधवार तक रहेंगे। इन नवरात्रों में प्रलय एवं संहार के देव महादेव एवं मां काली की पूजा का विधान है। गुप्त नवरात्रि में साधक गुप्त सिद्धियों को अंंजाम देते हैं और चमत्कारी शक्तियों के स्वामी बन जाते हैं।

 
सनातन धर्म में कोई भी धार्मिक कार्य आरंभ करने से पूर्व कलश स्थापना करने का विधान है। पृथ्वी को कलश का रूप माना जाता है तत्पश्चात कलश में उल्लिखित देवी- देवताओं का आवाहन कर उन्हें विराजित किया जाता है। इससे कलश में सभी ग्रहों, नक्षत्रों एवं तीर्थों का निवास हो जाता है। पौरणिक मान्यता है की कलश स्थापना के उपरांत कोई भी शुभ काम करें वह देवी-देवताओं के आशीर्वाद से निश्चिंत रूप से सफल होता है।
 
प्रथम गुप्त नवरात्रि में दुर्गा पूजा का आरंभ करने से पूर्व कलश स्थापना करने का विधान है। जिससे मां दुर्गा का पूजन बिना किसी विध्न के कुशलता पूर्वक संपन्न हो और मां अपनी कृपा बनाएं रखें। कलश स्थापना के उपरांत मां दुर्गा का श्री रूप या चित्रपट लाल रंग के पाटे पर सजाएं। फिर उनके बाएं ओर गौरी पुत्र श्री गणेश का श्री रूप या चित्रपट विराजित करें। पूजा स्थान की उत्तर-पूर्व दिशा में धरती माता पर सात तरह के अनाज, पवित्र नदी की रेत और जौं डालें। कलश में गंगाजल, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, अक्षत, हल्दी, सिक्का, पुष्पादि डालें।
 
आम, पीपल, बरगद, गूलर अथवा पाकर के पत्ते कलश के ऊपर सजाएं। जौ अथवा कच्चे चावल कटोरी में भरकर कलश के ऊपर रखें उसके बीच नए लाल कपड़े से लिपटा हुआ पानी वाला नारियल अपने मस्तक से लगा कर प्रणाम करते हुए रेत पर कलश विराजित करें। अखंड ज्योति प्रज्जवलित करें जो पूरे नौ दिनों तक जलती रहनी चाहिए।
 
विधि-विधान से पूजन किए जानें से अधिक मां दुर्गा भावों से पूजन किए जाने पर अधिक प्रसन्न होती हैं। अगर आप मंत्रों से अनजान हैं तो केवल पूजन करते समय दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे' से समस्त पूजन सामग्री अर्पित करें। मां शक्ति का यह मंत्र समर्थ है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार पूजन सामग्री लाएं और प्रेम भाव से पूजन करें। संभव हो तो श्रृंगार का सामान, नारियल और चुनरी अवश्य अर्पित करें। नौ दिन श्रद्धा भाव से ब्रह्म मुहूर्त में और संध्याकाल में सपरिवार आरती करें और अंत में क्षमा प्रार्थना अवश्य करें। 

 

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