Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Sep, 2017 01:23 PM
प्रवचन के उपरांत एक जिज्ञासु राजा ने भगवान बुद्ध से प्रश्र किया, ‘‘महाराज, आपने अभी-अभी कहा कि
प्रवचन के उपरांत एक जिज्ञासु राजा ने भगवान बुद्ध से प्रश्र किया, ‘‘महाराज, आपने अभी-अभी कहा कि मनुष्य चार प्रकार के होते हैं। कृपया समझाइए।’’
भगवान बुद्ध ने उत्तर दिया, ‘‘मनुष्य चार प्रकार के होते हैं- एक तिमिर से तिमिर में जाने वाला, दूसरा तिमिर से ज्योति की ओर जाने वाला, तीसरा ज्योति से तिमिर की ओर जाने वाला और चौथा, ज्योति से ज्योति की ओर जाने वाला। राजन! यदि कोई मनुष्य जीवन भर दुष्कर्म करने में बिताए, तो उसे मैं तिमिर से तिमिर में जाने वाला कहता हूं।
‘‘यदि कोई मनुष्य महाकुल में जन्म ले, खाने-पीने की कमी न हो, शरीर भी रूपवान और बलवान हो, किंतु मन, काया व वचन से वह दुराचारी हो, तो मैं उसे ज्योति से तिमिर में जाने वाला कहता हूं।’’
‘‘किंतु जो मनुष्य अच्छे कुल में जन्म लेकर सदैव सदाचरण की साधना करता हो, तो मैं उसे ज्योति से ज्योति में जाने वाला मनुष्य मानता हूं।’’