Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Nov, 2017 08:35 AM
आज बुधवार दी॰ 08.11.17 को मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की पंचमी व बुधवार के उपलक्ष में मां अन्नपूर्णा के पूजन व अनुष्ठान का विशेष महत्व है। शास्त्रनुसार देवी अन्नपूर्णा को सम्पूर्ण विश्व का संचालन करने वाली जगदंबा का ही रूप माना गया है। अन्नपूर्णा ही...
कल बुधवार दी॰ 08.11.17 को मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की पंचमी व बुधवार के उपलक्ष में मां अन्नपूर्णा के पूजन व अनुष्ठान का विशेष महत्व है। शास्त्रनुसार देवी अन्नपूर्णा को सम्पूर्ण विश्व का संचालन करने वाली जगदंबा का ही रूप माना गया है। अन्नपूर्णा ही संपूर्ण संसार का भरण-पोषण करती हैं। अन्नपूर्णा का अर्थ है अन्न अर्थात धान्य की अधिष्ठात्री देवी। स्कंदपुराण के काशीखण्ड अनुसार भगवान शंकर गृहस्थ हैं व पार्वती उनकी गृहस्थी चलाती हैं।
ब्रह्मवैवर्त्तपुराण के काशी रहस्य अनुसार भवानी अर्थात पार्वती ही अन्नपूर्णा हैं। मार्गशीर्ष माह में इनका व्रत सर्व मनोकामना पूर्ण करने वाला है व इस का वैज्ञानिक महत्व भी है। इस समय कोशिकाओं के जेनेटिक कण रोग निरोधक होकर चिरायु व युवा बनाने में प्रयत्नशील होते हैं। इन दिनों किया गया षटरस भोजन वर्ष उपरांत स्वास्थ्य वृद्घि करता है। मार्गशीर्ष माह में अन्नपूर्णा का पूजन करने से यश व कीर्ति में वृद्घि होती है। अन्नपूर्णा की कृपा से कोई भी भूखा नहीं सोता है, सभी विपत्तियों से रक्षा होती हैं व घर में कभी अन्न-धान्य की कमी नहीं होती है।
विशेष पूजन विधि: शिवालय जाकर देवी अन्नपूर्णा अर्थात पार्वती का विधिवत पूजन करें। गौघृत का दीप करें, सुगंधित धूप करें, मेहंदी चढ़ाएं, सफ़ेद फूल चढ़ाएं। धनिया की पंजीरी का भोग लगाएं तथा किसी माला से इन विशेष मंत्रों का 1-1 माला जाप करें।
पूजन मुहूर्त: प्रातः 09:22 प्रातः 10:44 तक।
पूजन मंत्र: ह्रीं अन्नपूर्णायै नम॥
उपाय
यश व किर्ति में वृद्धि हेतु देवी अन्नपूर्णा पर चढ़े मूंग गाय को खिलाएं।
विपत्तियों से रक्षा हेतु देवी अन्नपूर्णा पर चढ़ा नवधान पक्षियों के लिए रखें।
अन्न-धान्य की कमी से बचने हेतु देवी अन्नपूर्णा पर चढ़ा सूखा धनिया किचन में छुपाकर रखें।
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com