Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Dec, 2017 12:51 PM
समुद्र सभी के लिए एक ही है पर कुछ उसमें से मोती ढूंढते हैं, कुछ उसमें से मछली ढूंढते हैं और कुछ सिर्फ अपने पैर गीले करते हैं। जिंदगी भी समुद्र की भांति ही है यह सिर्फ हम पर निर्भर करता है कि इस जीवन से हम क्या पाना चाहते हैं, हमें क्या ढूंढना है?
समुद्र सभी के लिए एक ही है पर कुछ उसमें से मोती ढूंढते हैं, कुछ उसमें से मछली ढूंढते हैं और कुछ सिर्फ अपने पैर गीले करते हैं। जिंदगी भी समुद्र की भांति ही है यह सिर्फ हम पर निर्भर करता है कि इस जीवन से हम क्या पाना चाहते हैं, हमें क्या ढूंढना है?
जिस इंसान की समझ जितनी सकारात्मक अथवा नकारात्मक होती है वह उसी रूप में मान-अपमान अथवा हालात को महसूस करता है। सकारात्मक व्यक्ति कीचड़ में भी कमल और नकारात्मक व्यक्ति चांद में भी दाग देख लेता है।
जीवन में परेशानियां चाहे जितनी भी हों, चिंता करने से और बड़ी हो जाती हैं, खामोश होने से काफी कम हो जाती हैं, सब्र करने से खत्म हो जाती हैं तथा परमात्मा का शुक्र करने से खुशियों में बदल जाती हैं।
हम ज्ञान की कितनी भी बातें करें या सत्संग में जाकर कितने भी प्रवचन सुनें, अगर हमारे अंदर प्रेम और विनम्रता नहीं है तो हम उस वृक्ष की भांति हैं जिस पर फल तो हैं, पर खाने योग्य नहीं। अमल के बिना हमारा जीवन वैसा ही है जिस तरह सूखा वृक्ष हरियाली के बिना होता है।
दिमाग ठंडा रखो अर्थात किसी बात पर तुरन्त प्रतिक्रिया न करो, सबके प्रति करुणा और दिल में दया रखो, सदा मीठा बोलो, किसी को चुभने वाली बात न करो अर्थात अपनी जुबान नर्म रखो, बड़ों का आदर अर्थात आंखों में शर्म रखो तो फिर सारा संसार तुम्हारा है।