Edited By ,Updated: 12 Jan, 2017 11:59 AM
14 जनवरी को मकर संक्रांति पर्व है, जो संपूर्ण भारत में बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन को खिचड़ी पर्व के नाम से भी जाना जाता है। लोक मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के
14 जनवरी को मकर संक्रांति पर्व है, जो संपूर्ण भारत में बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन को खिचड़ी पर्व के नाम से भी जाना जाता है। लोक मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने की परंपरा का आरंभ भगवान शिव ने किया था और उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से मकर संक्रांति के मौके पर खिचड़ी बनाने की परंपरा का आरंभ हुआ था। उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है। मान्यता है की बाबा गोरखनाथ जी भगवान शिव का ही रूप थे। उन्होंने ही खिचड़ी को भोजन के रूप में बनाना आरंभ किया।
पौराणिक कहानी के अनुसार खिलजी ने जब आक्रमण किया तो उस समय नाथ योगी उन का डट कर मुकाबला कर रहे थे। उनसे जुझते-जुझते वह इतना थक जाते की उन्हें भोजन पकाने का समय ही नहीं मिल पाता था। जिससे उन्हें भूखे रहना पड़ता और वह दिन ब दिन कमजोर होते जा रहे थे।
अपने योगियों की कमजोरी को दूर करने लिए बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जी को एकत्र कर पकाने को कहा। बाबा गोरखनाथ ने इस व्यंजन का नाम खिचड़ी रखा। सभी योगीयों को यह नया भोजन बहुत स्वादिष्ट लगा। इससे उनके शरीर में उर्जा का संचार हुआ।
आज भी गोरखपुर में बाबा गोरखनाथ के मंदिर के समीप मकर संक्रांति के दिन से खिचड़ी मेला शुरू होता है। यह मेला बहुत दिनों तक चलता है और इस मेले में बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी का भोग अर्पित किया जाता है और भक्तों को प्रसाद रूप में दिया जाता है।
2017 में गोरखनाथ मंदिर में लगने वाला खिचड़ी मेला पूरी तरह सजकर तैयार हो गया है। हालांकि इसकी औपचारिक शुरुआत 14 जनवरी से होगी।