Edited By Niyati Bhandari,Updated: 26 Oct, 2023 10:51 AM
शरद पूर्णिमा की रात्रि में चांद के दर्शनों का विशेष महत्व है। इस दिन चन्द्रमा की किरणों से अमृत-तत्त्व बरसता है। चन्द्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ पृथ्वी पर शीतलता
Kojagiri Purnima 2023: शरद पूर्णिमा की रात्रि में चांद के दर्शनों का विशेष महत्व है। इस दिन चन्द्रमा की किरणों से अमृत-तत्त्व बरसता है। चन्द्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ पृथ्वी पर शीतलता, पोषकशक्ति एवं शांतिरूपी अमृतवर्षा करता है। आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाए तो चन्द्र का मतलब होता है शीतलता। बाहर कितने भी परेशान करने वाले प्रसंग आएं लेकिन आपके दिल में कोई फरियाद न उठे। आप भीतर से ऐसे पुष्ट हो कि बाहर की छोटी-मोटी मुसीबतें आपको परेशान न कर सकें। इस दिन व रात में खूब मन्त्र जाप करें। रात्रि को चंद्रमा के नीचे खुली आंखों से चंद्रमा को निहारते हुए गोपी गीत का पाठ करना चाहिए।
भगवत के रास पंचाध्यायी के 5 अध्याय भगवान के पांच प्राण है। गोपी गीत भगवान का ह्रदय हैं इसलिए जितना हो सके गोपी गीत का पाठ करो चंद्रमा की अमृतरूपी किरणों के नीचे बैठ कर या लेट कर। इन पांच गीतों के पाठ से ह्रदय के रोग दूर होते हैं। कामवासना का बीज भून देता है गोपी गीत का पाठ। घर की छत पर परिवार सहित बैठो व जप करो हो सके तो रात भर वहीं लेट जाओ । नाभि पर चंद्रमा की किरने पड़ने दो।
चांदनी रात में खीर को चांद की रोशनी में रखें। इस रात को जो रस बरसता है वो दुर्लभ होता है।
कोई और विचार मन में न आएं अपना मन्त्र अन्दर चलता रहे इस दिन व रात जो प्रणय गीत ,वेणु गीत ,गोपी गीत, भ्रमर गीत ,युगल गीत,का पाठ करता है व रास की दिव्य चर्चा का अध्यात्मिक अर्थ समझ कर ह्रदय में महारास का ध्यान करता है निश्चित ही उसको दिव्य अनुभूतियां होती हैं।
पूरे वर्ष में केवल शरद पूर्णिमा को वृन्दावन के श्री बांके बिहारी मंदिर में प्रभु के हाथों में मुरली शोभायमान होती है।