हिंदू शास्त्र: विचारों में अपवित्रता होना भी किसी पाप से कम नहीं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Jan, 2018 12:26 PM

to be impure in thoughts is not less than any sin

हिंदू शास्त्र में मनुष्य जीवन से संबंधित एेसी कई बातें बताई गई हैं, जिस से व्यक्ति को बहुत कुछ सीखने को मिलता हैं। इतना ही धर्म शास्त्र में मनुष्य के जन्म से लेकर उसकीे मृत्यु तक के बारे में विस्तार मिलता है।

हिंदू शास्त्र में मनुष्य जीवन से संबंधित एेसी कई बातें बताई गई हैं, जिस से व्यक्ति को बहुत कुछ सीखने को मिलता हैं। इतना ही धर्म शास्त्र में मनुष्य के जन्म से लेकर उसकीे मृत्यु तक के बारे में विस्तार मिलता है। तो आईए जानते हिंदू शास्त्र में बताए एेसे 10 काम जो मनुष्य को गरीबी से कभी मुक्ति नहीं दिला पाते। 

 

कुछ लोग नियमित पूजा-पाठ करते हैं लेकिन वह फिर भी धन के मामले में सदैव दुखी ही रहते हैं। धन का सुख मिलेगा या नहीं, ये बात पुराने कर्मों के साथ ही वर्तमान के कर्मों पर भी निर्भर करती है। यदि दरिद्रता से मुक्ति पानी हो तो शास्त्रों के अनुसार वर्जित किए गए कुछ काम बिलकुल नहीं करने चाहिए। जो लोग इन कामों से बचते हैं, उन्हें महालक्ष्मी के साथ ही सभी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त हो जाती है और जो नहीं करते उनके घर हमेशा गरीबी का वास रहता है।

 

ज्ञान और विद्या का घमंड न करें
जो लोग अपने ज्ञान और विद्या का घमंड करते हैं, वे लक्ष्मी की स्थाई कृपा प्राप्त नहीं कर पाते हैं। अपने ज्ञान और विद्या का उपयोग दूसरों को दुख देने में, सिर्फ अपने स्वार्थों को पूरा करने में, दूसरों का अपमान करने में करेंगे तो लंबे समय तक सुखी नहीं रह सकते। भविष्य में सुखी रहने के लिए अपने ज्ञान और विद्या से दूसरों के दूख दूर करने के प्रयास करें। 


शास्त्रों का अपमान न करें
शास्त्रों को पूजनीय और पवित्र माना गया है। इनमें श्रेष्ठ जीवन के लिए महत्वपूर्ण सूत्र बताए गए हैं। जो लोग शास्त्रों की बातों का पालन करते हैं, वे कभी भी दुखी नहीं होते हैं। इसलिए शास्त्रों का अपमान नहीं करना चाहिए, इनका अपमान करना महापाप है। यदि हम शास्त्रों का सम्मान नहीं कर सकते हैं तो अपमान भी नहीं करना चाहिए।


गुरु की बुराई का न करें
गुरु का महत्व भगवान से भी अधिक बताया गया है। अच्छे गुरु के बिना हम पाप और पुण्य का भेद नहीं समझ सकते हैं। गुरु द्वारा ही भगवान को प्रसन्न करने के सही उपाय बताए जाते हैं। गुरु की शिक्षा का पालन करने पर हम दरिद्रता और दुखों से मुक्त हो सकते हैं। गुरु पूजनीय है, सदैव इनका सम्मान करना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में गुरु का अपमान न करें, अन्यथा दुख कभी दूर नहीं होंगे।


बुरा न बोलें
कभी भी ऐसे शब्दों का उपयोग नहीं करना चाहिए, जिनसे दूसरों को दुख पहुंचे। वाणी से दूसरों को दुख देना भी महापाप है, इससे जितना हो सके बचना चाहिए।
 
विचारों की पवित्रता बनाए रखें
विचारों में अपवित्रता यानी बुरा सोचना भी किसी पाप से कम नहीं होता। स्त्री या हो पुरुष, दूसरों के लिए गंदा सोचने पर देवी-देवताओं की प्रसन्नता प्राप्त नहीं की जा सकती है। विचारों की पवित्रता बनाए रखें। इसके लिए गलत साहित्य से दूर रहें और आध्यात्मिक साहित्य पढ़ें, ध्यान करें। इससे विचारों की गंदगी दूर हो सकती है।


दिखावे से बचें
जिन लोगों की आदत दिखावा करने की होती है, वे भी दुखी रहते हैं। छिप-छिपकर गलत काम करते हैं और दूसरों के सामने खुद को धार्मिक और अच्छा इंसान बताते हैं, वे लोग कभी न कभी बड़ी परेशानियों का सामना करते हैं। धर्म के विरुद्ध आचरण करने पर पाप और दुख बढ़ते हैं।

 
ज्ञानी होते हुए भी परमात्मा को न मानना
जो लोग अज्ञानी हैं, वे तो परमात्मा के संबंध में तरह-तरह के वाद-विवाद करेंगे ही, लेकिन जो लोग ज्ञानी हैं, यदि वे परमात्मा को नहीं मानते हैं तो वे जीवन में बहुत ज्यादा दुख भोगते हैं। परमात्मा यानी भगवान की भक्ति से सभी दुख दूर हो सकते हैं।


दूसरों की उन्नति देखकर ईर्ष्या न करें
काफी लोग दूसरों के सुख को देखकर ही दुखी रहते हैं। कभी भी दूसरों के सुख से ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए। जो सुख-सुविधाएं हमारे पास हैं, उन्हीं में खुश रहना चाहिए। दूसरों के सुख को देखकर ईर्ष्या करेंगे तो कभी भी सुखी नहीं हो पाएंगे।


दूसरों की संपत्ति को हड़पना नहीं चाहिए
दूसरों की संपत्ति हड़पना, लालच करना भी पाप है। हमें अपनी मेहनत से कमाई गई संपत्ति के अतिरिक्त दूसरों की संपत्ति को देखकर लालच नहीं करना चाहिए। लालच को बुरी बला कहा जाता है। जो लोग लालच करते हैं, वे कभी भी संतुष्ट नहीं हो पाते हैं और लगातार सोचते रहते हैं, इस कारण मानसिक शांति भी नहीं मिलती है।


मान-सम्मान पाने के लिए दान न करें
गुप्त दान को श्रेष्ठ दान माना जाता है। गुप्त दान यानी ऐसा दान जो बिना किसी को बताए दिया जाता है। दान देने वाले व्यक्ति की पहचान भी गुप्त रहती है। जो लोग मान-सम्मान पाने के लिए दान करते हैं, दूसरों को दिखा-दिखाकर मदद करते हैं, स्वयं को बड़ा दिखाने के लिए दान करते हैं, वे ऐसे दान से पूर्ण पुण्य प्राप्त नहीं कर पाते हैं।

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