मोटे पेट वाले कभी नहीं होते कंगाल, उन पर होता है कुबेर का आशीर्वाद

Edited By ,Updated: 09 Sep, 2016 09:26 AM

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भारतीय संस्कृति में भगवान के अनेक अवतार बताए गए हैं। भगवान बुद्ध को श्रीहरी विष्णु का नवां अवतार माना गया है परंतु पूर्वी भारत व पश्चिमी चीन के प्रदेशों में

भारतीय संस्कृति में भगवान के अनेक अवतार बताए गए हैं। भगवान बुद्ध को श्रीहरी विष्णु का नवां अवतार माना गया है परंतु पूर्वी भारत व पश्चिमी चीन के प्रदेशों में लाफिंग बुद्धा को धन कुबेर का अवतार माना जाता है। फेंगशुई ज्योतिष में लाफिंग बुद्धा की पूजा-आराधना संपत्ति के देवता के रूप में की जाती है। संपन्नता, सफलता और आर्थिक समृद्धि के प्रतीक लाफिंग बुद्धा के हंसते हुए चेहरे को खुशहाली और संपन्नता का द्वार समझा जाता है। 
 
घर में इनकी स्थापना से धन-दौलत का आगमन निश्चित मान लिया जाता है। इनका मोटा पेट संपन्नता का प्रतीक है। इनके पेट को छूने की परंपरा है। फेंगशुई ज्योतिष में लाफिंग बुद्धा को धन, वैभव, संपन्नता, सफलता और सुख-शांति का देवता मानते हैं। कुबेर की भांति लाफिंग बुद्धा के भी कई रूप हैं। इनमें खासकर धन की पोटली लिए हुए, दोनों हाथों में कमंडल लिए हुए, वु लु प्रकार के फल हाथ में लिए हुए, ड्रैगन के साथ बैठे हुए, कमंडल में बैठे हुए और कई बच्चों के साथ बैठे हुए प्रमुख हैं।
 
शास्त्रों में कुबेर को धन का अधिपति कहा गया है। यही पृथ्वीलोक की समस्त धन संपदा के स्वामी हैं। उन्हें धन का घड़ा लिए कल्पित किया गया है। शास्त्रानुसार कुबेर को यक्षों का राजा कहा गया है। इनके तीन पैर और आठ दांत हैं। यह कुरूपता के लिए  अति प्रसिद्ध हैं। इनका शरीर अति स्थूल है। शास्त्रों में इनके मोटे पेट को धन का खजाना माना गया है। कुबेर रावण के सोतेले भाई हैं व इन्हें भगवान शंकर द्वारा धनपाल होने का वरदान प्राप्त है। कुबेर के पिता ऋषि विश्रवा की दो पत्नियां थीं इडविडा व कैकसी। कुबेर की माता इडविडा ब्राह्मण कुल की कन्या थीं। यक्ष धन की केवल रक्षा करते हैं उसे भोगते नहीं हैं। प्राचीन काल में जो मंदिर बनाए जाते थे उनमें मंदिर के बाहर कुबेर की मूर्तियां भी होती थी क्योंकि कुबेर देव की मंदिर की धन-संपत्ति की रक्षा करते हैं। कुबेर का धन किसी खजाने के रूप में कहीं गड़ा हुआ या स्थिर पड़ा रहता है। शास्त्रों में कुबेर का निवास वटवृक्ष पर बताया गया है। ऐसे वृक्ष घर-आंगन में न होकर वनो में ही होते हैं।
 
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार व्यक्ति की जन्मकुंडली के पांचवें भाव से व्यक्ति का पेट अर्थात तोंद देखी जाती है। इसके साथ-साथ पंचम भाव से व्यक्ति का धनागमन और धन की स्थिति देखी जाती है। अक्सर ऐसा देखा जाता है की अत्यधिक अमीर व धनी व्यक्ति का शरीर स्थूल होता है तथा अधिकतर धनी व अमीर व्यक्ति मोटे पेट लिए हुए होते हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार धन व जमा पूंजी का मूल कारण कुंडली के पंचम व दूसरे भाव को बताया गया है। कुंडली में विद्यमान प्रबल पंचमेश व धनेश से व्यक्ति के पास असीम चल व अचल धन-संपत्ति होती है। 
 
हिन्दू व चीनी धार्मिक शास्त्रों में भी मोटा पेट लिए हुए व्यक्तियों को सुखी व सम्पन्न बताया गया है। इसके साथ-साथ मोटे व्यक्ति को हसमुख और सदा हसता हुआ पाया जाता है। कहने का तात्पर्य है की हंसते हुए व्यक्ति के पेट में बल पड़ते हैं जिससे पंचम भाव सक्रिय होता है। पंचम भाव के सक्रिय होने से धन का आगमन और पेट या उदर की वृद्धि होती है।
 
कुंडली के पंचम भाव को फणकर कहा जाता है। पंचवे घर में स्थित ग्रह, राशि, व पंचम भाव पर पड़ने वाले ग्रहों की दृष्टि व पंचमेश की कुंडली में स्थिति धन को संबोधित करती है। कुंडली के पंचम भाव पर एकादश भाव में स्थित ग्रहों की पड़ने वाली दृष्टि से धन प्राप्ति और स्थूल शरीर के योग पता चलते हैं। जन्मकुंडली के पंचमेश को बलशाली करने से व्यक्ति धनी और खुशहाल बनता है। पंचम भाव के स्वामी को बलशाली करने पर व्यक्ति को अच्छी संतान की प्राप्ति होती है, कामसुख में वृद्धि होती है तथा व्यक्ति अति धनवान होता है परंतु व्यक्ति का धनी होना अथवा व्यक्ति के पेट में बढ़ौत्तरी संपूर्णता से जन्मकुंडली के विवेशन पर निर्भर करती है। कुछ ऐसे ज्योतिषीय उपाय भी है जो व्यक्ति को कुबेर और लाफिंग बुद्धा की भांति अमीर, सुखी और धनी भी बना सकते हैं।

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com 
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