शुक्रवार की शाम और रात करें यह पूजन, पाएं धन और सेहत का वरदान

Edited By ,Updated: 05 Jul, 2016 01:24 PM

ganesh ji

हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। 8 जुलाई शुक्रवार को सिद्धि विनायक श्री गणेश चतुर्थी व्रत है।

हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। 8 जुलाई शुक्रवार को सिद्धि विनायक श्री गणेश चतुर्थी व्रत है। नारद पुराण के अनुसार संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रती को पूरे दिन का उपवास रखना चाहिए। शाम के समय संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा सुननी चाहिए। रात में चंद्रोदय होने पर गणेश जी का पूजन करके स्वयं भोजन करना चाहिए। इस दिन गणेश जी का व्रत-पूजन करने से धन-धान्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है और समस्त संकटों से मुक्ति मिलती है।

मान्यता है कि महालक्ष्मी ने गणेश जी को प्रथम पूज्य होने का वरदान देते हुए आशीष दिया था कि उनकी आराधना करने वाले पर सदा लक्ष्मी कृपा बनी रहेगी।

 

संकटों से घिरे व्यक्ति के लिए निम्र स्रोत सुरक्षा कवच है। प्रतिदिन इसका पाठ करने से चमत्कारी रूप से लाभ मिलता है। गौरी पुत्र गणेश जी को विघ्नहर्ता और दुखों को हरने वाला देवता माना जाता है। गणों के स्वामी होने के कारण ही इनका एक नाम गणपति भी है। सभी देवी-देवताओं में सबसे पहले श्री गणेश की पूजा का विधान है।

 

 श्रीगणेश जी को विनायक, विघ्नेश्वर, गणपति, लंबोदर के नाम से भी जाना जाता है। गणेश जी की पूजा करने से विद्या, धन, स्वास्थ्य और सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। उनके इस गणेश स्रोत के पाठ से सारी मुश्किलें दूर होकर सुख-समृद्धि आती है :  

कष्ट निवारक सुरक्षा कवच 

प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम्।

भक्तावांस स्मेर नित्यप्राय: कामार्थसिद्धये।। 1।।

प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम्।

तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववन्नं चतुर्थकम्।।2।।

लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च।

सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम्।। 3।।

नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम्।

एकादशं गणपङ्क्षत द्वादशं तु गजानन्।।4।।

द्वादशैतानि नमानि त्रिसंध्यंय: पठेन्नर:।

न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो।।5।।

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्।

पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मोक्षार्थी लभते गतिम्।।6।।

जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासै: फलं लभते।

संवत्सरेण सिङ्क्षद्धच लभते नात्र संशय:।।7।।

अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते।

तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत:।।8।।

इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम्।। 

सिद्धि दायक विशेष गणेश गायत्री मंत्र...

प्रतिदिन या प्रति बुधवार को श्री गणेश की विशेष मंत्रों से पूजा अत्यंत फलदायी मानी गई है। 

व्रत विधि 

* सुबह सूर्योदय से पहले जागें और स्नान करें। 

* घर या देवालय में पीले वस्त्र पहन श्रीगणेश की पूजा सिंदूर, दूर्वा, गंध, अक्षत, अबीर, गुलाल, सुगंधित फूल जनेऊ, सुपारी, पान, मौसमी फल व भोग में लड्डू अर्पित करें।

पूजा के बाद पीले आसन पर बैठ नीचे लिखे अचूक श्रीगणेश मंत्र से पूजन सम्पन्न करें  

एकदंताय विद्महे,वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंति प्रचोदयात्।।

गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो 

दंती प्रचोदयात्।। 

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