लाल किताब: दान करने से पहले ध्यान रखें, हो सकते हैं आप बर्बाद

Edited By ,Updated: 25 Jul, 2016 01:12 PM

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जीवन क्षणभंगुर है, लक्ष्मी चंचल है। वह हमेशा किसी के पास नहीं रहती इसलिए धन होने पर दान करना ही उसकी शोभा है। गीता में दान को सात्विक, राजसी और

जीवन क्षणभंगुर है, लक्ष्मी चंचल है। वह हमेशा किसी के पास नहीं रहती इसलिए धन होने पर दान करना ही उसकी शोभा है। गीता में दान को सात्विक, राजसी और तामसी इन तीन श्रेणियों में बांटा गया है। सात्विक दान वह है जो देश काल और पात्र के अनुसार कर्तव्य समझ कर किया जाता है और दान लेने वाला उसे अस्वीकार नहीं करता। राजसी दान वह है जो किसी इच्छा की पूर्ति के लिए उत्साह के बिना किया जाता है। तामसी दान वह है जो अनुचित काल, स्थान और पात्र को श्रद्धा के बिना दिया जाता है। 
 
लाल किताब के अनुसार दान करने से पहले ध्यान रखें, हो सकते हैं आप बर्बाद
 
* आपकी जन्म पत्रिका में चंद्र चतुर्थ भाव में है तो आपको कभी भी दूध, जल अथवा दवा का मूल्य नहीं लेना चाहिए।
 
* पत्रिका में गुरु सातवें भाव में हो तो कभी भी कपड़े का दान नहीं करना चाहिए अन्यथा स्वयं वस्त्रहीन हो जाएंगे। अर्थात आप पर इतना अधिक आर्थिक संकट आ जाएगा कि स्वयं के पहनने के लिए कपड़े भी नहीं बचेंगे।
 
* यदि आपकी जन्म पत्रिका में शनि आठवें भाव में हो तो कभी भी भोजन, वस्त्र या जूते आदि का दान नहीं करना चाहिए।
 
* यदि दशम भाव में बृहस्पति एवं चतुर्थ में चंद्र हो तो मंदिर बनवाने पर व्यक्ति झूठे मामले में जेल भी जा सकता है।
 
* सूर्य सातवें या आठवें घर में विद्यमान हो तो सुबह-शाम दान नहीं करना चाहिए। यह उसके लिए विषपान समान साबित होगा।
 
* जातक का शुक्र नौवें घर में हो और वह अनाथ बच्चे को गोद ले तो स्वयं अनाथ हो जाता है।
 
* यदि शनि प्रथम भाव में तथा बृहस्पति पंचम भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति द्वारा तांबे का दान करने पर संतान नष्ट हो जाती है।
 
* अष्टम भावस्थ शनि होने पर मकान बनवाना मृत्यु का कारक होगा।
 
* केतु सातवें भाव में हो तो लोहे का दान नहीं करना चाहिए।
 
* चौथे भाव में मंगल बैठा हो तो वस्त्र का दान नहीं करना चाहिए।
 
* राहू दूसरे भाव में हो तो तेल व चिकनाई वाली चीजों का दान नहीं करना चाहिए।
 
* सूर्य, चंद्रमा ग्यारहवें भाव में हों तो शराब व कबाब का सेवन न करें। नहीं तो आर्थिक स्थिति खराब हो जाएगी।
 
* सूर्य-बुध की युति ग्यारहवें भाव में हो तो अपने घर में कोई किराएदार नहीं रखना चाहिए।
 
* बुध यदि चौथे भाव में हो तो घर में तोता नहीं पालना चाहिए। यदि पालें तो माता को कष्ट होता है।
 
* जन्म पत्रिका के तीसरे भाव में केतु हो तो जातक को दक्षिणमुखी घर में नहीं रहना चाहिए। 

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