जिस घर के पुरूष में होती हैं ये आदतें, उसका परिवार कभी नहीं होता आबाद

Edited By ,Updated: 29 Aug, 2016 02:03 PM

garuda purana

श्री हरि विष्णु के वाहन गरुड़ जी के माध्यम से भगवान ने अपने श्रीमुख से मृत्यु के बाद के गूढ़ तथा असीम कल्याण करने वाले वचन कहे थे, इसलिए इस पवित्र पुराण को 'गरुड़ पुराण' नाम से जाना जाता है। मृत्यु अटल सत्य है जिसे झुठलाया नहीं जा सकता। सनातन धर्म...

श्री हरि विष्णु के वाहन गरुड़ जी के माध्यम से भगवान ने अपने श्रीमुख से मृत्यु के बाद के गूढ़ तथा असीम कल्याण करने वाले वचन कहे थे, इसलिए इस पवित्र पुराण को 'गरुड़ पुराण' नाम से जाना जाता है। मृत्यु अटल सत्य है जिसे झुठलाया नहीं जा सकता। सनातन धर्म में मृत्यु होने के बाद आत्मा के स्वर्ग गमन या नर्क गमन की मान्यता है। शास्त्रनुसार जो व्यक्ति सुकर्म करता है, वह स्वर्ग गमन करता है, जबकि जो व्यक्ति कुकर्म करता है वो नर्क गमन करता है।
 
गरुड़पुराण में तीन ऐसे कार्यों के बारे में बताया गया है जिनसे हर मनुष्य को दूर रहना चाहिए। जो ऐसा नहीं करता वो कभी अपने जीवन में सुख और शांति प्राप्त नहीं कर पाता। 
 
श्लोक, "यदीच्छेच्छाश्र्वतीं प्रीतिं त्रीन् दोषान् परिवर्जयेत्। धूतमर्थप्रयोगं च परोक्षे दारदर्शनम्।।" 
अर्थात 
धन का लेन-देन करना- धन जीवन की ऐसी अवश्यकता है जिसके अभाव में घर-गृहस्थी चलाना असंभव है। मेहनत से कमाए धन की घर में बरकत होती है। जो धन बेइमानी अथवा हेरा-फेरी से कमाया जाता है। वह कभी सुख नहीं देता। मित्रों और सगे-संबंधियों के साथ अकसर धन का लेन-देन होता रहता है। छोटी सी चूक संबंध विच्छेद का कारण बन जाती है। इस आदत से दूर रहें। 
 
महिलाओं पर कुदृष्टि रखना- अपनी पत्नी को छोड़ जो व्यक्ति अन्य महिला से संबंध स्थापित करता है या फिर दूसरे की बहू-बेटी पर अपनी कुदृष्टि रखता है, भविष्य में उसकी यही आदत उसे पतन की ओर ले जाती है। जिस घर के पुरूष में ये आदत होती है वह परिवार कभी आबाद नहीं होता।  
  
जुए की लत- जुआ खेलना सामाजिक बुराई मानी जाती है। जुए से जुडे विभिन्न खेलों की अनेक ग्रंथों में चर्चा की गई है। इतिहास पर दृष्टिपात करें तो ज्ञात होता है की जुआ कभी किसी का नहीं हुआ। महाभारत में उल्लेख है कि दुर्योधन ने पांडवों का राज्य हड़पने के लिए युधिष्ठिर को जुए के शिकंजे में फंसा दिया था। युधिष्ठिर ने जुए में अपना सब कुछ लुटाने के बाद अपनी पत्नी द्रौपदी को भी दांव पर लगा दिया और उसे हार गए। यह जुआ भीषण संग्राम का कारण बना था। जो पुरूष जुआ खेलता है उसका परिवार कभी खुशहाल नहीं हो सकता। 

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