कश्मीर में छ महीनों में 92 आतंकी ढेर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Jul, 2017 06:03 PM

92 militants killed in kashmi

आठ जुलाई को हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकवाद बुरहान वानी की पहली बरसी है।

श्रीनगर : आठ जुलाई को हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकवाद बुरहान वानी की पहली बरसी है। जब से वानी की मौत हुई है तब से ही पूरी कश्मीर घाटी में हिंसा का माहौल है। वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान की तरफ  से भी लगातार घुसपैठ के प्रयास जारी हैं। लेकिन दिलचस्प बात है कि सेना की मुस्तैदी की वजह से आतंकियों के प्रयास सफल नहीं हो पा रहे हैं।
केंद्र सरकार ने सुरक्षाबलों को घाटी में आतंकियों से मोर्चा लेने के लिए खुली छूट दे दी है। जुलाई तक कश्मीर घाटी में 92 आतंकियों को मौत के घाट उतारा जा चुका है। सुरक्षाबलों ने कहा है कि घाटी में करीब 180 आतंकवादी हैं और कई ने वानी की मौत के बाद आतंकी संगठनों को ज्वॉइन किया था। सबसे खास बात है कि जिन 92 आतंकियों का खात्मा किया गया है वे सभी हाई प्रोफाइल टारगेट थे।

सेनाओं ने सिर्फ लो रैंक आतंकियों को नहीं मारा है लेकिन आतंकी संगठन के कमांडर्स को भी निशाना बनाया गया है। बदली हुई रणनीति की वजह से आतंकियों की मौत में भी इजाफा हुआ है। सेनाओं को दी गई खुली छूट ने भी इसमें अहम रोल अदा किया है। सेनाओं के सामने अब आतंकियों से मोर्चा लेने के रास्ते में कोई रुकावट भी नहीं है।


एक खुफिया अधिकारी की मानें तो इस समय आतंकियों से जुड़ी इंटेलीजेंस भी तुरंत मिल रही है। यूनिट कमांडर उस इंटेलीजेंस पर तुरंत एक्शन लेता है और बिना समय गंवाए कॉर्डन और सर्च ऑपरेशन लॉन्च कर दिया जाता है। इस नई रणनीति ने जम्मू कश्मीर पुलिस में भी नई जान फूंक दी है। स्थानीय पुलिस आतंकियों से जुड़ी इंटेलीजेंस में रीढ़ की हड्डी की तरह हो गई है। उनकी जानकारी 10 में से नौ बार एकदम सही होती है। इस वर्ष दो जुलाई तक घाटी में 92 आतंकवादियों को मारा जा चुका है। पिछले वर्ष यानी 2016 में 150 आतंकी मारे गए थे। 2015 में 108 तो 2014 में 110 आतंकियों को मौत के घाट उतारा गया था। वहीं वर्ष 2012 से 2013 तक 72 आतंकी मारे गए थे।

 

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