माेदी सरकार ने SC से कहा- राइट टू प्राइवेसी काे नहीं बना सकते फंडामेंटल राइट

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jul, 2017 05:04 PM

four states approached sc in favor of right to privacy

सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की संवैधानिक खंडपीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही है कि राइट टू प्राइवेसी मौलिक अधिकार है या नहीं।

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की संवैधानिक खंडपीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही है कि राइट टू प्राइवेसी मौलिक अधिकार है या नहीं। पीठ ने कहा कि वह ये तय नहीं करेंगे कि आधार मौलिक अधिकारों का हनन करता है या नहीं। दरअसल, चार गैर-बीजेपी शासित राज्यों पंजाब, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी की ओर से राइट टू प्राइवेसी पर सुप्रीम काेर्ट में अर्जी दी गई है। चारों राज्यों ने अपील करते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि डाटा शेयरिंग से निजता का उल्लंघन होगा। 

'केंद्र सरकार की दलील'
हालांकि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि राइट टू प्राइवेसी को मूल अधिकारों की श्रेणी में शामिल नहीं किया जा सकता। सरकार की दलील है कि प्राइवेसी को पूरी तरह से मौलिक अधिकार नहीं माना जा सकता। कोर्ट को प्राइवेसी का वर्गीकरण करना चाहिए। सरकार का ये भी कहना है कि राइट टू प्राइवेसी के कुछ हिस्सों को मौलिक अधिकारों के तरह संरक्षण दिया जा सकता है। इसके जवाब में कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि आपके हिसाब से किस हिस्से को मौलिक अधिकार माना जा सकता है? क्या कोई राइट टू प्राइवेसी को बचाने के लिए राइट टू लिव यानी जीने के अधिकार का उल्लंघन कर सकता है? 

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