महात्मा हत्याकांड: संदेह के घेरे में आप्टे की पहचान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Nov, 2017 03:30 PM

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महात्मा गांधी हत्याकांड में मुख्य हत्यारे नाथूराम गोडसे के साथ नारायण दत्तात्रेय आप्टे को 15 नवंबर, 1949 को फांसी पर लटकाया गया था।  इस घटना के 68 साल बाद, आज उच्चतम न्यायालय में एक याचिका में दावा किया गया है कि आप्टे की पहचान संदेह के घेरे में है...

नई दिल्ली: महात्मा गांधी हत्याकांड में मुख्य हत्यारे नाथूराम गोडसे के साथ नारायण दत्तात्रेय आप्टे को 15 नवंबर, 1949 को फांसी पर लटकाया गया था।  इस घटना के 68 साल बाद, आज उच्चतम न्यायालय में एक याचिका में दावा किया गया है कि आप्टे की पहचान संदेह के घेरे में है और इसमें महात्मा गांधी हत्याकांड की जांच फिर से कराने का अनुरोध किया गया है। 

महात्मा गांधी हत्याकांड की पूरी साजिश का पता लगाने के लिये 1966 में गठित न्यायमूर्ति जे एल कपूर आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि आप्टे भारतीय वायु सेना में रह चुका था।  हालांकि, रक्षा मंत्री मनोहर र्पिरकर ने सात जनवरी, 2016 को शोधकर्ता और शीर्ष अदालत में याचिका दायर करने वाले डा पंकज फडनीस को सूचित किया कि ‘‘नारायण दत्तात्रेय आप्टे के वायु सेना का एक अधिकारी होने के बारे में कहीं भी कोई जानकारी नहीं मिली है।’’  

शोधकर्ता और अभिनव भारत के ट्रस्टी फडनीस ने महात्मा गांधी हत्याकांड की जांच पर सवाल उठाते हुये कहा है कि यह इतिहास में लीपा-पोती वाला एक सबसे बड़ा मामला है। उन्होंने याचिका के साथ तत्कालीन रक्षा मंत्री, अब गोवा के मुख्यमंत्री, पार्रिकर का पत्र भी संलग्न किया है।  याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि इस तरह की सूचना से 30 जनवरी, 1948 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या में कथित विदेशी हाथ की संलिप्तता साबित होती है।   

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