Edited By ,Updated: 30 Nov, 2016 05:59 PM
भारतीय अदालतों में जजों की नियुक्ति को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच तकरार थमने का नाम नहीं ले रही।
नई दिल्लीः भारतीय अदालतों में जजों की नियुक्ति को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच तकरार थमने का नाम नहीं ले रही। एक बार फिर केंद्र सरकार ने आंकड़ों के हवाले से जजों की नियुक्ति में देरी के लिए सुप्रीम कोर्ट काे जिम्मेदार ठहराया है। केंद्र ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने पिछले एक साल में सर्वोच्च अदालत में 7 खाली पड़े पदों के लिए एक भी नाम विचार के लिए नहीं भेजा है। केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के रिक्त 430 पदों पर नियुक्ति के मसले पर भी पलटवार करते हुए कहा कि 24 हाई कोर्टों के 279 पदों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कोई नाम प्रस्तावित नहीं किया है।
न्यायाधीशों के 500 पद रिक्त
इससे पहले 26 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस टीएस ठाकुर और देश के कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक समारोह में परोक्ष रूप से इसके लिए एक दूसरे पर हमला किया था। जस्टिस ठाकुर ने कहा था कि देश के हाई कोर्टों में न्यायाधीशों के 500 पद रिक्त हैं। उम्मीद है सरकार इस संकट को खत्म करने के लिए इसमें हस्तक्षेप करेगी। वहीं प्रसाद ने कहा कि सरकार ने इस साल 120 नियुक्तियां की हैं जो 1990 के बाद से दूसरी बार सबसे अधिक हैं। प्रसाद ने निचली अदालतों में खाली पदों का भी मुद्दा उठाया जिन पर नियुक्ति खुद अदालतें करती हैं।