Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Mar, 2018 11:36 AM
एनसीईआरटी में 12वीं की पॉलिटकल साइंस की बुक में बदलाव किया है। एनसीईआरटी दुारा किए गए...
नई दिल्ली : एनसीईआरटी में 12वीं की पॉलिटकल साइंस की बुक में बदलाव किया है। एनसीईआरटी दुारा किए गए इस बदलाव के बाद अब स्टूडेंट्स को साल 2002 में हुए गुजरात दंगों को जानने के लिए सिर्फ ‘गुजरात राइट्स’ ही पढ़ने को मिलेगा। वहीं इससे पहले उन्हें ‘एंटी मुस्लिम राइट्स इन गुजरात’ शीर्षक के साथ गुजरात दंगों के बारे में पढ़ाया जाता था।
नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) टेक्स्ट बुक ‘पॉलिटिक्स इन इंडिया सिंस इंडिपेंडेंस’ के चैप्टर के सब-हेड में बदलाव किया है। हिन्दुस्तान टाइम्स की ख़बर के मुताबिक, इसके और इसकी शुरुआती लाइन के अलावा 2002 के गुजरात हिंसा को लेकर बाकी सारी चीजें वहीं हैं। पेज नंबर 187 पर दंगों से संबंधित जो पैराग्राफ छपा है, उसका शीर्षक ‘मुस्लिम विरोधी दंगे’ से बदलकर ‘गुजरात दंगे’ कर दिया गया है। हालांकि, खास बात यह है कि इसी पैराग्राफ में 1984 के दंगों को सिख विरोधी बताया गया है।
नई टेक्स्टबुक्स में किए गए दो तरह के बदलाव
नए टेक्स्टबुक्स में पैसेज के अंदर दो तरह के बदलाव किये गए हैं। शीर्षक के अलावा पैसेज की पहली शब्द से मुस्लिम शब्द हो भी हटा दिया गया है। पैसेज में इससे पहले पढ़ा जाता था- “फरवरी-मार्च 202 में गुजरात में मुस्लिम के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी।” लेकिन, अपडेटेड किताब में अब लिखा है- “फरवरी-मार्च 2002 में बड़ी तादाद में गुजरात के अंदर हिंसा भड़की थी।” 12वीं कक्ष की टेक्स्ट बुक में यह बदलाव साल 2007 में प्रकाशित होने के दौरान किया था जिस वक्त केन्द्र की सत्ता में कांग्रेस की अगुवाई में यूपीए की सरकार थी। एनसीईआरटी अधिकारियों के मुताबिक, जिस सिलेबस को स्वीकृति दी गई है जिससे टेक्स्ट बुक्स को तैयार किया जाता है उसमें एंटी-मुस्लिम शब्द की कोई जगह नहीं है। नाम ना बताने की शर्त पर उन्होंने बताया- “इस सिलेबस में साफतौर पर गुजरात हिंसा शब्द का इस्तेमाल किया गया है। हालांकि, टेक्स्ट बुक ने पहले ‘एंटी मुस्लिम’ शब्द को शामिल किया था। जब हमने सिलेबस को अपडेट करना शुरू किया तो इस बारे में हमें बताया गया उसके बाद हमने वहां पर गुजरात हिंसा शब्द का इस्तेमाल किया। ”
एचआरडी मंत्रालय ने दिया था सुझाव
गौरतलब है कि आजाद भारत के इतिहास में गुजरात दंगा सबसे भीषण हिंसा मानी जाती है। साल 2007 में यूपीए के शासनकाल में प्रकाशित एनसीआरटी की किताब में बदलाव का फैसला एक बैठक में लिया गया था। इस बैठक में सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंड्री एजुकेशन (CBSE) और नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) के प्रतिनिधि शामिल थे। जिसके बाद पिछले साल इस किताब में परिवर्तन के लिए एचआरडी मंत्रालय ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) को सुझाव दिया था। जिसके बाद उन्होंने कहा कि किताबों में यह बदलाव कर दिए जाएंगे और साल के आखिर में नई किताबों को छापा जाएगा। फिलहाल अभी इस मुद्दे पर एनसीईआरटी के निदेशक ऋषिकेश सेनापति ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।