एनआरआई के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दो महीने की दी मोहलत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jul, 2017 06:04 PM

supreme court gives the center two months   time on the issue of nri

प्रवासी भारतीयों को मताधिकार देने की लॉलीपॉप केंद्रों की सरकार के लिए गले की फांस बनी हुई है।

नई दिल्ली: प्रवासी भारतीयों को मताधिकार देने की लॉलीपॉप केंद्रों की सरकार के लिए गले की फांस बनी हुई है। यूपीए सरकार से शुरू हुआ मुद्दा एनडीए सरकार तक होते-होते सुप्रीम कोर्ट में जनसुनवाई के पहुंचा हुआ है। हालांकि उस सरकार ने देश में आकर प्रवासियों को वोट करने का अधिकार तो दे दिया,लेकिन एक वोट के लाखों करना प्रवासियों को रास नहीं आया। इसके उन्होंने डाक और ई-बैलेट की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। शनिवार को सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार को दो सप्ताह में बताने को कहा कि वे निर्वाचन कानून में संशोधन के लिए विधेयक कब लाएंगे।

चीफ जस्टिस जेआर खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के उस बयान पर विचार किया कि महज जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत नियमों में बदलाव करेक अप्रवासी भारतीयों को वोट देने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। 
संसद में कानून में संधोधन करने वाला एक विधेयक पेश करने की जरूरत है ताकि उन्हें वोट देने का अधिकार मिल सके। 

अटॉर्नी जनर ने पीठ को ये भी बताया कि मंत्री के एक समूह ने कानून में संशोधन करने के लिए गुरुवार को एक बैठक की। अदालत ने 14 केंद्र को एक सप्ताह के भीतर फैसला लेने के लिए कहा था कि क्या वह देश में चुनावों में डाक व ई-बैलेट के जरिए एनआरआई को वोट देने की अनुमति देने के लिए निर्वाचन कानून या नियमों में बदलाव करेगी। सुनवाई के दौरान वेणुगोपाल ने नियमों में बदलाव करने के विकल्प को खारिज कर दिया और कहा कि कानून में उपयुक्त बदलाव किया जाना चाहिए। 

केंद्र ने कहा था कि उसने 12 सदस्यीय समिति द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट की अनुशंसाओं को सैद्धांतिक तौर अनुमति दे दी थी, जिसमें विदेशों में रहने वाले भारतीयों को मतदान का अधिकार देने की बात की गई थी। इस समिति का नेतृत्व उप निर्वाचन आयुक्त विनोद जुत्शी ने किया है।  चुनाव आयोग ने इस मुद्दे पर काम कर रही एक विशेषज्ञ समिति ने 2015 में कानून मंत्रालय के वैधानिक संरचना को अग्रसारित किया था ताकि चुनाव कानूनों में संशोधन कर अनिवासी भारतीयों को प्रतिनिधित्व वोटिंग और ई बैलेट सुविधा की अनुमति दी जा सके।

कब क्या क्या हुआ......

प्रवासी भारतीयों की लंबे समय से मतदान के अधिकार की मांग को पूरा करते हुए केंद्र सरकार ने कहा है कि वह अनिवासी भारतीयों को भी चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने और मतदान का अधिकार देगी। यूपीए सराकर के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2012 में वार्षिक प्रवासी भारतीय सम्मेलन में घोषणा की थी। संयुक्त राष्ट्र के सर्वे के मुताबिक विश्व में 3 करोड़ हिंदुस्तानी है जो अलग-अलग देशों में रह रहे हैं। इनमें से 1 करोड़ 40 लाख अप्रवासी भारतीय संबंधित देशों की नागरिकता प्राप्त कर चुके हैं। 

वर्ष 2010 में अप्रवासी भारतीयों को वोट देने का अधिकार दिया गया, लेकिन एक बड़ी खामी रह गई। वोट देने के लिए उन्हें संबंधित मतदान केंद्र पर उपस्थित होना आवश्यक था। मताधिकार पाने के बाद से आंकड़े दर्शाते हैं कि केवल दस हजार से 12 हजार अनिवासी भारतीयों ने वोटिंग की। केवल वोट देने के लिए हजारों डॉलर खर्च कर आना व्यवहारिक नहीं था। इसके चलते सर्वोच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर की गईं। वहीं चुनाव आयोग ने इस पर एक समिति गठित की। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह ई-बैलेट अथवा प्रॉक्सी वोटिंग के जरिए संभव है। 
 

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