संवेदनशील स्थानों पर बसने से रोकने के लिए दंडात्मक कार्रवाई के प्रावधान की जरूरत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Aug, 2017 06:26 PM

the need for action to prevent the settlement of sensitive places

जिले के धारचूला क्षेत्र में पिछले सप्ताह भारी बारिश के चलते हुई बादल फटने की दो घटनाओं में बचाव और राहत कार्यों की निगरानी कर रहे एक ...

पिथौरागढ़ : जिले के धारचूला क्षेत्र में पिछले सप्ताह भारी बारिश के चलते हुई बादल फटने की दो घटनाओं में बचाव और राहत कार्यों की निगरानी कर रहे एक अधिकारी का मानना है कि प्राकृतिक आपदाओं के लिए अति संवेदनशील स्थानों पर बसने का प्रयास करने वाले लोगों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान होना चाहिए।

धारचूला के उपजिलाधिकारी राजकुमार पांडे ने बताया कि काली नदी के साथसाथ मांगती और मालपा के बीच के इलाकों को भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेंक्षण (जीएसआई) द्वारा पहले से ही आपदा के लिए अत्यंत संवेदनशील घोषित किया जा चुका है। मांगती और मालपा दोनों क्षेत्रों में गत 14 अगस्त को हुई बादल फटने की अलगअलग घटनाओं में आठ व्यक्ति मारे गए थे और 13 अन्य लापता हो गए थे।

पांडे ने बताया कि जीएसआई ने वर्ष 1998 में मालपा में आई आपदा के बाद वहां किसी भी बसावट को अनुमति न दिए जाने की सिफारिश की थी। मालपा में 1998 में आई आपदा में 55 कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रियों समेत 255 से ज्यादा लोग मारे गए थे। मालपा त्रासदी के एक साल बाद तक शांत रहने के बाद वहां के व्यवसायिक महत्व को देखते हुए स्थानीय लोगों ने वहां दोबारा दुकानें स्थापित कर ली थीं। मालपा कैलाश मानसरोवर जाने वाले रास्ते के साथ ही व्यास घाटी को जाने वाले पैदल मार्ग पर भी पडता है। पांडे ने बताया कि केवल एक को छोडकर 1998 के बाद मालपा में अपनी दुकानें स्थापित करने वाले सभी व्यवसाई गत 14 अगस्त को आई आपदा में मारे गए।

उपजिलाधिकारी का मानना है कि अति संवेदनशील स्थानों पर अपनी दुकानें बनाने या बसने से परहेज करने के लिए केवल प्रशासन की आेर से दी जाने वाली सलाह स्थानीय लोगों को रोकने के लिए काफी नहीं है। हालांकि, अगर इस संबंध में दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान हो तो लोगों को वहां बसने से रोकने की संभावना बढ सकती है। पांडे ने कहा कि अपनी जान को जोखिम में डालकर आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील स्थानों पर ग्रामीणों को बसने से रोकने के लिए किसी दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान न होने से प्रशासन अपने आपको असहाय महसूस करता है।

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