वांटेड पत्थरबाज से आतंकी बने जुबैर के पिता ने कहा : वह समझता हैं आर्मी चीफ की ‘इच्छा’

Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Jun, 2017 12:20 AM

zubair turray  s father against army chief

दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिला में गत 1 मई को जेल से भागा वांटेड पत्थरबाज से बने आतंकी जुबैर अहमद तुर्रे के पिता बशीर अहमद तुर्रे ने कहा कि उनका बेट आर्मी चीफ बिपिन रावत की ‘इच्छा’ को समझता है।

श्रीनगर : दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिला में गत 1 मई को जेल से भागा वांटेड पत्थरबाज से बने आतंकी जुबैर अहमद तुर्रे के पिता बशीर अहमद तुर्रे ने कहा कि उनका बेट आर्मी चीफ बिपिन रावत की ‘इच्छा’ को समझता है। जनरल रावत ने हाल ही में कहा था मेरी इच्छा है कि हम पर पत्थर फेंकने के बजाय यह लोग हथियारों से गोली चलाई, उसके बाद मैं खुश होता। फिर मैं वो करता जो मैं करना चाहता हूं।


जुबैर की मां सलीमा ने कहा कि वह (सुरक्षाबल) बिना लोगों के यह जमीन चाहते हैं। अब आर्मी चीफ की इच्छा सुनने के बाद मैं समझ गई कि मेरे बेटे ने बंदूक क्यों उठाई। मुझे लगता है कि एक साजिश के तहत उसको ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया ताकि उसको मारना आसान हो जाए। तुर्रे और सलीमा जुबैर अहमद (25) के परिजन हैं जो शोपियां जिला में कई लोगों के लिए सबसे प्रमुख पत्थरबाज था। जुबैर गत 1 मई को पुलिस हिरासत से फरार हो गया था और कुछ दिनों के बाद हिजबुल में शामिल हो गया। उसके परिजनों का मानना है कि जुबैर को आतंकियों में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया था। उसको पहली बार 2004 में पत्थरबाजी के लिए गिरफ्तार किया गया था। जुबैर तब सातवीं कक्षा का छात्र था। उसके बाद अगले 13 सालों के लिए जेल उसका पहला घर बन गया।

9 बार लगा पीएसए  
उसको पी.एस.ए. के तहत 9 बार बुक किया गया। हर बार अदालत ने पी.एस.ए. को खारिज कर दिया। फिर पुलिस ने उसे अधिनियम के तहत नए मामलोंं में उसको गिरफ्तार किया गया। वह लगातार चार सालों तक हिरासत में रहा। अंतिम बार कुछ तीन महीने पहले पी.एस.ए. खारिज किया गया और फरार होने से पहले उसके बाद दो महीनों तक उसको अवैध तौर पर हिरासत में रखा गया।
सलीमा ने कहा कि उसके बेटे का आतंकवादी बनने का फैसला उसके लिए दर्दनाक था और वह उस पल से डर रही हैं जब वह उसकी शहादत की खबर प्राप्त करेगी। लेकिन जब वह अपने बेटे के बारे में सोचती हैं, उसको लगता है कि उसने एक अच्छा निर्णय लिया। उसने खुद को यातना के जीवन से छुटकारा दिला लिया है। मुझे याद है कि अंतिम बार उसने बताया कि वह पुलिस से संपर्क करें और भविष्य में उसके अच्छे आचरण की ओर से उनको आश्वान दें। उसको अपने किए की सजा मिल गई है और वह अब पत्थराव नहीं करेगा। लेकिन आतंकी बनने के लिए मजबूर किए जाने तक किसी ने हमारी नहीं सुनी।

 

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