Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Mar, 2018 03:53 PM
दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग की ओर से लाभ के पद में अयोग्य ठहराए गए 20 विधायकों की सदस्यता बहाल कर दी। इस निर्णय पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्विटर पर लिखा कि ‘सत्य की जीत हुई। दिल्ली के लोगों द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों को गलत तरीके से...
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग की ओर से लाभ के पद में अयोग्य ठहराए गए 20 विधायकों की सदस्यता बहाल कर दी। इस निर्णय पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्विटर पर लिखा कि ‘सत्य की जीत हुई। दिल्ली के लोगों द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों को गलत तरीके से बर्खास्त किया गया था।
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के लोगों को न्याय दिया। दिल्ली के लोगों की बड़ी जीत। दिल्ली के लोगों को बधाई।’ शुक्रवार शाम 6 बजे सीएम ने अपने घर पर सभी विधायकों की बैठक बुलाई। मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली के लोगों के बीच बड़ी जीत है। यदि राजधानी को चुनाव में झोंकते तो यह अच्छा नहीं होता।
केंद्र में शासित भाजपा की कोशिश थी कि अरुणाचल प्रदेश, गोवा, उत्तराखंड व मणीपुर की तरह दिल्ली में भी तोडफ़ोड़ की स्थिति पैदा कर सरकार को अस्थिर किया जाए। अदालत ने साफ संदेश दे दिया है कि लोकतंत्र से खिलवाड़ करना आसान नहीं है। सीएम ने सभी 20 विधायकों से कहा कि वे दो महीनों में रुके कार्यों को दोगुनी रफ्तार से पूरा करें। विधायकों ने अपने क्षेत्र में पानी की दिक्कतों को भी मुख्यमंत्री के समक्ष उठाया। इसमें निर्णय हुआ कि शनिवार को ‘आप’ के सभी विधायक हरियाणा भवन पर पानी के लिए प्रोटेस्ट करेंगे।
कोर्ट के निर्देश के बावजूद तीन महीने से पानी रोका गया है। इससे गर्मी में जनता को संकट से जूझना पड़ेगा। चांदनी चौक से विधायक अलका लांबा ने बताया कि अभी चुनौतियां कम नहीं हुई हैं। डोर स्टेप राशन की डिलीवरी पर उपराज्यपाल से लड़ना है।
21 विधायकों की कुछ यू रही जबानी -
13 मार्च 2015
20 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया
19 जून 2015
वकील प्रशांत पटेल ने तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास इन सचिवों की सदस्यता रद्द करने के लिए आवेदन किया। शिकायत में इसे लाभ का पद बताया गया।
22 जून 2015
शिकायत चुनाव आयोग के पास भेजी गई।
24 जून 2015
दिल्ली विधानसभा ने अयोग्यता को हटाने संबंधी पास किया।
13 जून 2016
प्रणब मुखर्जी ने विधायकों के विधेयक पर अपनी सहमति देने से इनकार कर दिया।
25 जून 2016
केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार की ओर से पास बिल को वापस लौटाया।
14 -25 जुलाई 2016
चुनाव आयोग के पास 21 विधायकों के लिए व्यक्तिगत सुनवाई की याचिका पहुंची।
8 सिंतबर 2016
हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार को 21 विधायकों को संसदीय सचिव पद से हटाने को कहा। इसी दिन आयोग ने कारण बताओ नोटिस जारी किया।
6 जनवरी 2017
राजौरी गार्डन से आप विधायक जरनैल सिंह ने पंजाब विस चुनाव लड़ने के लिए विधानसभा से इस्तीफा दिया।
24 जून 2017
चुनाव आयोग ने आप के 21 विधायकों के लाभ के पद के मामले में केस वापस लेने की याचिका खारिज की।
9 अक्टूबर 2017
आयोग के लाभ के पद के मामले में 21 विधायकों को स्पष्टीकरण के लिए नोटिस जारी किया गया।
19 जनवरी 2018
चुनाव आयोग ने 20 विधायकों की सदस्यता खत्म करने की सिफारिश की। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इस संबंध में पत्र भेजा। ‘आप’ ने इस पर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और स्टे की मांग की, जिसे कोर्ट ने खारिज किया
21 जनवरी 2018
राष्ट्रपति ने आयोग की सिफारिश मानी और ‘आप’ के 20 विधायकों को अयोग्य करार दिया। इसके बाद सदस्यता गंवाने वाले 20 विधायकों में से कुल 8 पूर्व विधायकों ने याचिका लगाई कि कोर्ट का फैसला आने तक चुनाव आयोग खाली हुई इन सीटों पर उपचुनाव की घोषणा न करे।
24 जनवरी 2018
दिल्ली हाईकोर्ट ने 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने संबंधी केंद्र सरकार की अधिसूचना पर रोक लगाने से इनकार किया
7 फरवरी 2018
हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई रोजाना करने की बात कही।
28 फरवरी 2018
हाईकोर्ट में चुनाव आयोग और विधायकों ने इस मामले में अपनी बहस पूरी की और जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस चंद्रशेखर की बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
23 मार्च 2018
हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग के फैसले को पलटा और उसे निर्देश दिया कि 20 विधायकों की दलीलों को फिर से सुना जाए। इस फैसले के बाद अयोग्य विधायकों की सदस्यता बहाल हो गई
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