Edited By ,Updated: 30 Jan, 2015 10:11 AM
3जी स्पैक्ट्रम की नीलामी को मंजूरी मिलने के साथ ही अब मोबाइल पर इंटरनैट इस्तेमाल करना और महंगा हो सकता है।
नई दिल्लीः 3जी स्पैक्ट्रम की नीलामी को मंजूरी मिलने के साथ ही अब मोबाइल पर इंटरनैट इस्तेमाल करना और महंगा हो सकता है। दरअसल टैलीकॉम मंत्रालय सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के डायरेक्टर जनरल राजन मैथ्यूज से नाराज हैं। मंत्रालय का कहना है कि ट्राई ने जो कीमतें प्रस्तावित की थीं वह ज्यादा सही थीं जबकि ऊंचे रिजर्व प्राइस से टैरिफ बढ़ सकते हैं।
इससे पहले केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने बुधवार को कहा कि मंत्रिमंडल ने 3जी स्पैक्ट्रम की नीलामी के लिए 3,705 करोड़ रुपए प्रति मैगाहर्ट्ज के आधार मूल्य को मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बैठक में भाग लेने के बाद मंत्री ने संवाददाताओं से कहा, "साल 2010 में हुई 3जी नीलामी के दौरान प्रति मैगाहर्ट्ज 700 करोड़ रुपए आरक्षित मूल्य तय किया गया था और तत्कालीन सरकार ने नीलामी से प्रति मैगाहर्ट्ज 3,350 करोड़ रुपए की कमाई की थी, जो आरक्षित मूल्य का लगभग 8 गुना ज्यादा है।"
उन्होंने कहा, "2100 मैगाहर्ट्ज डेटा तथा वीडियो ट्रांसमिशन के लिए बेहद लाभकारी बैंड है। इस बार हमने 3,705 करोड़ आरक्षित मूल्य तय किया है।" दूरसंचार आयोग ने 3जी स्पैक्ट्रम का आधार मूल्य 3,705 करोड़ रुपए प्रति मैगाहर्ट्ज रखने का सुझाव दिया था। आयोग द्वारा सुझाया गया आधार मूल्य साल 2010 में हुई नीलामी के दौरान कं पनियों ने जो भुगतान किया था, उसका लगभग 11 फीसदी ज्यादा है। दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने इसके लिए 2,720 करोड़ रुपए प्रति मैगाहर्ट्ज करने का सुझाव दिया था, जिससे यह 36 फीसदी ज्यादा है।